Silkyara Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड में सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने में लगी हुई हैं. 17वें दिन भी मजदूरों को निकालने की कई कोशिशें बेकार गईं तो कुछ ने ये भी बताया कि नहीं उम्मीद जिंदा है, और उनकी कोशिशें रंग लाएंगी और उन्होंने पहाड़ खोद डाला. थोड़ी देर में रैट माइनर्स के प्रभाव के कारण 41 लोग एक बार फिर खुली हवा में सांस ले पाएंगे.
सिलक्यारा टनल में बार-बार जब ऑर्गर मशीन खराब हो जा रही थी तो ऐसे में बचाव दल के पास बड़ी समस्या थी कि आखिर मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रास्ता कैसे बनाया जाए. इसलिए जहां मशीन खराब हुई थी उसी जगह से रैट माइनर्स को खुदाई करने के लिए भेजा गया. सुरंग में उनको मदद करने के लिए सेना की चेन्नई शेपर्स की टीम ने उनके साथ समन्वय स्थापित कर खुदाई का काम शुरू कर दिया. उनको सफलता मिल गई.
सिलक्यारा पहुंचे रैट माइनिंग टीम के सदस्यों ने कैसे की खुदाई
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) में बीआरओ के पूर्व मुख्य इंजीनियर और बचाव अभियान में जुटे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) हरपाल सिंह ने बताया कि आखिर कैसे छह सदस्यीय रैट माइनिंग टीम ने वहां पर खुदाई की. उन्होंने बताया कि रैट माइनिंग टीम के दो सदस्य पाइप के अंदर घुसे और 50 मीटर नीचे जहां पर ऑर्गर मशीन खराब हो गई थी उन्होंने वहां पर खुदाई करना शुरू कर दिया. उनके पास छोटे फावड़े, छोटी ट्रॉली, ऑक्सीजन मास्क और हवा को सर्कुलेट करने के लिए एक ब्लोअर था.
इसके अलावा जब-जब उनमें से कोई थक जाता तो छह सदस्यीय टीम के बाकी सदस्य वहां पर पहुंचते और खुदाई शुरू कर देते. इसके बाद बचाव कार्य चलता रहता. इसी के साथ उनको सफलता मिली और कुछ ही देर में अब मजदूर बाहर निकल आएंगे.
सुरंग में कब हुआ हादसा?
उत्तराखंड की सुरंग में यह हादसा 12 नवंबर 2023 को हुआ था. तब से ही उन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तैयारियां जारी हैं. अभी जब टनल में खुदाई पूरी हो चुकी है तब सफलता हासिल करने में महज पांच मीटर की दूरी शेष रहने के बीच, अंदर फंसे हुए श्रमिकों को सुरंग से निकाले जाने के बाद उन्हें तुरंत चिकित्सकीय मदद के वास्ते अस्पताल पहुंचाने के लिए तैयारियां जारी हैं.
श्रमिकों के बाहर आते ही उन्हें चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया जाएगा.