Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों को सकुशल वापस निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. सोमवार (20 नवंबर) को श्रमिकों से संवाद स्थापित करने और उन तक खाने पीने की चीज पहुंचाने के लिए 6 इंच का पाइप डालने का काम पूरा कर लिया गया था.
मंगलवार (21 नवंबर) सुबह राहत भरी खबर आई कि उनसे वॉकी टॉकी पर बात हो रही है और सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने थोड़ी राहत की सांस ली है और बचाव कार्य में किए जा रहे प्रयासों को और तेज कर दिया गया है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर मीडिया के साथ जानकारी को साझा किया है. मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (NDMA) के सदस्य ले. जनरल (रिटा.) सय्यद अता हसनैन भी मौजूद रहे.
'कई देशों से रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर ली सलाह'
ले. जनरल (रिटा.) सय्यद अता हसनैन ने कहा कि सुरंग में लोग दोनों तरफ से बंद हो जाने की वजह से फंस गए. वहां पर NDRF, SDRF और कई तकनीकी एजेंसियां काम में जोर शोर से जुटी हैं. कई देशों से भी रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर सलाह ली गई है. वहीं 3-4 विदेशी एक्सपर्ट भी हादसा साइट पर पहुंचे हैं.
'खाने पीने साथ दवाई व ऑक्सीजन भी पहुंचा रहे'
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि सुरंग में लोग बहुत छोटी जगह में नहीं फंसे हैं. वह कुछ किलोमीटर लंबी जगह है. बिजली लाइन नहीं कटी, तो वहां बिजली भी है. शुरू में जो छेद किया गया, उससे खाना, पानी, दवाई जैसे जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है, वहां ऑक्सीजन भी है.
'सुरंग में फंसे लोगों के कई परिवार भी साइट पर पहुंचे'
एनडीआरएफ अधिकारी का कहना है कि सुरंग में फंसे लोगों में से कुछ के परिवार भी वहां पहुंचाया गया है. वहीं, जिन राज्यों के लोग फंसे हैं, वहां के प्रतिनिधि भी वहां हैं. जिला प्रशासन ने सबके लिए समुचित व्यवस्था भी की है.
'20 मीटर पर पहुंचे, 60 मीटर तक जाने का लक्ष्य'
सदस्य हसनैन के मुताबिक, 5 जगह पर ड्रिलिंग के जरिए प्रयास किए जा रहे हैं. इनमें से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग वाली एक जगह पर सबसे सघन प्रयास हो रहे हैं. वहीं, 20-21 मीटर के बाद चट्टान आ जाने के चलते दिक्कत आ रही है. उसका समाधान भी निकाला जा रहा है. रेस्क्यू एजेंसियों की ओर से वर्टिकल प्रयास भी किए जा रहे हैं. ब्लास्टिंग भी हो रही है. पर यह धीमा तरीका है. इसलिए पुराने हॉरिजॉन्टल रास्ते पर काम बढ़ाया गया है. उन्होंने बताया कि अभी तक 20-21 मीटर जा चुके हैं लेकिन 60 मीटर तक जाना है.
'हर स्थिति पर रिहर्सल कर रहा एनडीआरएफ दस्ता'
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि 6 इंच की एक पाइप लाइन वहां पहुंचने से वहां पर कम्युनिकेशन की कोई लाइन बनाने का प्रयास किया जा सकता है. इस पाइप लाइन से पहले वहां पर 4 इंच की एक पाइप लाइन पहले से ही थी. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ का दस्ता हर स्थिति के लिए रिहर्सल कर रहा है. जैसे भी हालात बनेंगे, यह दस्ता और दूसरी एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो जाएंगी.
'कई तरीकों का अपना कर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन'
एक सवाल के जवाब में एनडीआरएफ सदस्य हसनैन ने बताया कि जल्द ही उनसे कम्युनिकेशन पूरी तरह स्थापित हो जाएगा. तब हम उनकी स्थिति को और बेहतर जान सकेंगे. मामले की तकनीकी जटिलता को देखते हुए उन्हें निकाल पाने की कोई समय सीमा पर टिप्पणी करना अभी सही नहीं होगा. अभी इतना ही कह सकता हूं कि सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए जा रहे हैं. 4-5 अलग-अलग तरीके एक साथ लगाए जा रहे हैं जिस तरीके से भी सबसे जल्दी कामयाबी मिल जाए. हम इस पर नहीं बैठे हैं कि 1 तरीका फेल हो तो दूसरा अपनाएं.
'सब ठीक रहा तो 'ऑगर' मशीन 2 दिन में भीतर पहुंचा देंगे'
मंत्रालय सचिव अनुराग जैन ने कहा कि सेना की टीम भी अपने तरीके से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. हमें पूरा विश्वास है कि सब सही सलामत वापस आएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सारी स्थितियां साथ रहीं और चट्टान के चलते दिक्कत नहीं आई तो 'ऑगर' मशीन 2 से ढाई दिन में हम अंदर तक उसको पहुंचा देंगे. हालांकि, फिलहाल इस तरीके या किसी भी और तरीके से कामयाबी की कोई समय सीमा बताना सही नहीं होगा.
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