Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: अब रैट होल माइनिंग से निकाले जाएंगे 41 मजदूर, जानिए कैसे होती है ड्रिलिंग
रैट होल माइनर्स सुरंग में मलबे को हाथ से साफ कर रहे हैं. अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आईं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का मंगलवार (8 नवंबर) को 17वां दिन है. मजदूरों को निकालने के लिए एक साथ 5 तरीकों पर काम किया जा रहा है, जिनका मकसद किसी भी तरह सभी 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालना है. रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट होल माइनिंग को भी शामिल किया गया है.
ऑगर मशीन खराब होने के बाद रैट होल माइनिंग के जरिए हॉरिजोंटल ड्रिलिंग की जा रही है. इस काम के लिए रैट होल माइनिंग के एक्सपर्ट उतरे हैं. ये वर्कर मैनुअली खुदाई कर रहे हैं और अब तक 4 से मीटर की खुदाई की जा चुकी है. रैट होल माइनिंग क्या होती है, किस तरह माइनर्स खुदाई करते हैं और मजदूरों को किस तरह रैट होल माइनिंग के जरिए सुरंग से बाहर निकाला जाएगा, आइए जानते हैं-
क्या होती है रैट होल माइनिंग?
सिल्क्यारा टनल में इस वक्त 41 मजदूर 60 मीटर की दूरी पर फंसे हैं. अमेरिकी ऑगर मशीन से 48 मीटर तक की खुदाई पूरी कर लगी गई थी और 10-12 मीटर की ड्रिलिंग ही बाकी रह गई थी जब मशीन बीच में ही खराब हो गई. मशीन के हिस्सों को बाहर निकाल लिया गया है और जहां पर मशीन ने खुदाई छोड़ी थी वहीं से रैट होल माइनर्स ने खुदाई शुरू कर दी है. इसमें मैनुअली ड्रिलिंग की जाती है इसलिए इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन यह कारगर साबित हो सकती है. इस प्रक्रिया में होता क्या है कि संकीर्ण गड्ढों के जरिए माइनर्स कोयला निकालने के लिए जाते हैं. मेघायल में विशेष रूस से इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. माइनर्स रस्सियों और बांस के जरिए कोयले की परत तक पहुंचते हैं. रैट होल माइनिंग ज्यादातर संकीर्ण सुरंगों में की जाती है और माइनर्स हॉरिजोंटल सुरंगों में कई सैकड़ों फीट तक नीचे उतरते हैं.
रैट होल माइनिंग मुख्यरूप से दो तरीके से होती है. एक साइड कटिंग और दूसरा बॉक्स कटिंग रैट माइनिंग. साइड कटिंग माइनिंग में संकरी सुरंगें बनाई जाती है और वर्कर इन सुरंगों के जरिए कोयला तलाशते हैं. बॉक्स कटिंग में 10 से 100 मीटर की एक ओपनिंग बनाई जाती है और इसके बीच से 100 से 400 मीटर नीचे की तरफ खुदाई की जाती है. फिर इसके जरिए कोयला ढूंढा जाता है, जैसे ही कोयली की परत मिल जाती है तो चूहे के बिल की तरह हॉरिजोंटली सुरंगें बनाई जाती हैं, जिनके कोयला निकाला जाता है. उधर, मजदूरों तक पहुंचने के लिए की जाने वाली 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग में से 40 फीसदी काम पूरा हो गया है.
41 मजदूरों को कैसे बाहर निकालेंगे माइनर्स
रैट होल माइनर्स सुरंग में मलबे को हाथ से साफ कर रहे हैं. अगर सरिया, गर्डर या अन्य किसी तरह की मुश्किले आई तो मशीन से उसे काटा जाएगा. इसके बाद 800 एमएम व्यास का पाइप अंदर डाला जाएगा, जिसके जरिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालेगी.
12 माइनर्स की दो टीम कर रही हैं काम
रैट होल माइनिंग के काम के लिए 12 वर्कर सुरंग में उतरे हैं. इसके लिए दो टीमों को बुलाया गया है एक टीम में 5 और दूसरी टीम में 7 वर्कर हैं. इस काम को पूरा करने के लिए दो कंपनियों- ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और नवयुग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने 12 एक्सपर्ट्स को बुलाया है. ये दिल्ली, झांसी और देश के अन्य हिस्सों से आए हैं. ये 12 लोग इस काम के एक्सपर्ट हैं. उधर, वर्टिकल ड्रिलिंग के काम में जुटी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ने 40 फीसदी काम पूरा कर लिया है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऊपर की तरफ से 86 मीटर की खुदाई की जानी है, जिसमें से 40 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है.