Uzbekistan Deaths Due To Cough Syrup: अफ्रीकी देश गाम्बिया के बाद अब उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप से कई बच्चों की मौत का दावा किया गया है. उज्बेकिस्तान की तरफ से दावा किया गया है कि भारतीय कंपनी के बनाए गए कफ सिरप को पीने के बाद वहां 18 बच्चों की मौत हो गई. गाम्बिया मामले के बाद ये दूसरा बड़ा मामला है जब कफ सिरप बनाने वाली किसी भारतीय कंपनी पर ये बड़ा आरोप लगाया गया हो. इस मामले को लेकर अब दोनों ही देशों में अपने-अपने स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है, साथ ही लगातार मामले को लेकर सफाई भी दी जा रही है. दोनों देशों की तरफ से मामले को लेकर बयान भी जारी हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि दवा कंपनी मैरियन बायोटेक के नोएडा दफ्तर का निरीक्षण 10 घंटे बाद खत्म हो गया है और छह और नमूने लिये गए हैं. 10 बड़ी बातें-
- उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि जिन 18 बच्चों की मौत हुई है उन्होंने नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के बनाए गए कफ सिरप ‘डॉक-1 मैक्स’ का सेवन किया था.
- इस मामले के सामने आने के बाद भारत के औषधि महानियंत्रक ने उज्बेक नियामक से घटना के संबंध में और जानकारी मांगी है. उत्तर क्षेत्र की केंद्रीय औषधि नियामक टीम और राज्य औषधि नियामक टीम ने संयुक्त रूप से दवा बनाने वाली कंपनी का निरीक्षण किया, जिसमें दवाओं के नमूने भी लिए गए.
- मंत्रालय के मुताबिक, प्रयोगशाला में जांच के दौरान सिरप के एक बैच में रासायनिक एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया. फिलहाल आगे की टेस्टिंग जारी है और नतीजे सामने आने के बाद ही पूरी जानकारी दी जाएगी.
- दवा को बनाने वाली भारतीय कंपनी मैरियन बायोटेक के कानूनी मामलों को देखने वाले हसन हैरिस ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले की जांच कर रही हैं और पूछताछ कर रही हैं.
- स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के निर्देशों के बाद सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) 27 दिसंबर से इस मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के नियमित संपर्क में है.
- फिलहाल कफ सिरप का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है. इसे लेकर कंपनी की तरफ से बताया गया, ‘‘हमारी ओर से कोई समस्या नहीं है और जांच में कोई गड़बड़ नहीं है. हम पिछले 10 वर्ष से काम कर रहे हैं. सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे. दवा का प्रोडक्शन बंद है.’’
- अधिकारियों ने बताया कि उज्बेकिस्तान में जिस ‘कफ सिरप’ से मौत के मामले सामने आए हैं, उसे भारत में नहीं बेचा जाता. यानी भारत में इसे लेकर कोई खतरा नहीं है, इस दवा को सिर्फ निर्यात किया जाता है.
- विदेश मंत्रालय की तरफ से एक ब्रीफिंग में इस मामले को लेकर कहा गया कि हमने इस मामले में मीडिया रोपोर्ट देखी है. उज्बेकिस्तान की एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं, लेकिन वहां हमारे दूतावास ने उनसे इस मामले में जानकारी मांगी है.
- इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि मैरियन बायोटेक, उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रक से एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता कंपनी है और इसे निर्यात के उद्देश्य से ‘‘डॉक1 मैक्स’’ सिरप और टैबलेट के निर्माण की इजाजत है. इस कफ सीरप के नमूने लिए गए हैं और परीक्षण के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) भेजे गए हैं.
- उज्बेकिस्तान के इन आरोपों से पहले, गाम्बिया में इस साल की शुरुआत में 70 बच्चों की मौत को हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की निर्मित खांसी सिरप से जोड़ा गया था. जिसके बाद भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कहा था कि उसने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित खांसी के चार सीरप से बिना जरूरी जांच के जोड़ दिया था.
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