V Senthil Balaji Case: ‘ये कहना खतरनाक है कि धारा 167 PMLA मामलों पर लागू नहीं होती’, वी सेंथिल बालाजी केस में SC ने फैसला सुरक्षित रखा
Tamil Nadu V Senthil Balaji: डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
Supreme Court On V Senthil Balaji Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (02 अगस्त) को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की रिहाई के लिए दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बालाजी को जून के महीने में गिरफ्तार किया था.
मामले की सुनवाई जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच ने की. सुनवाई के दौरान पीठ ने ईडी के इस तर्क पर चिंता व्यक्त की कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी पर लागू नहीं होगी.
सीआरपीसी की धारा 167 गिरफ्तार व्यक्ति को संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से संबंधित है. ये मजिस्ट्रेटों को कारण दर्ज करने के बाद, उनके सामने पेश किए गए आरोपी की रिमांड की अवधि निर्धारित करने की पावर देता है.
जज सुंदरेश ने क्या कहा?
इस पर जज सुंदरेश ने कहा, “ये बेहद ही खतरनाक प्रस्ताव है कि 16 झूठ नहीं बोलता है और आप (ईडी) फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अपना समय ले सकते हैं.” केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि ये खासतौर से ईडी हिरासत में बिताए गए समय पर लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने इस पहलू पर संशोधन किया है.
सॉलिसिटर जनरल ने ये भी कहा कि बालाजी पर विशेष हिरासत पाने के ईडी के प्रयास तब रुक गए जब उन्होंने कई अदालतों का दरवाजा खटखटाकर कानून का दुरुपयोग किया. तुषार मेहता ने कहा, “उन्होंने कई अदालतों में कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है. एजेंसी को बदनाम किया गया है. आगे की पूछताछ के लिए आधार हैं. फिलहाल वो मेरी हिरासत में नहीं है, वह न्यायिक हिरासत में है.”
बालाजी और ईडी ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले मंत्री को रिहा करने के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसके बाद बालाजी और उनकी पत्नी एस मेगाला को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा था. वहीं, ईडी ने ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था कि हाई कोर्ट ने बालाजी की रिमांड के बाद दायर याचिका पर विचार करने में भी गलती की थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में ईडी की याचिका के साथ-साथ बालाजी और उनकी पत्नी की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई.
बालाजी और उनकी पत्नी की याचिकाओं का प्रतिनिधित्व सीनियर वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने किया. पिछली सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने चिंता जताई थी कि पीएमएलए के तहत ईडी को मिलीं शक्तियां सीआरपीसी से कहीं ज्यादा आगे ले जाती हैं. उन्होंने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को गिरफ्तारी के आधार या शिकायत की कॉपी भी उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जिससे उनके अधिकार प्रभावित होते हैं.
वहीं, मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि ईडी के पास पूछताछ का कोई निहित अधिकार नहीं है. रोहतगी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बालाजी अन्य आरोपियों के साथ देश से भाग जाएंगे.
क्या है मामला?
बालाजी के खिलाफ मामला तमिलनाडु परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है. सेशन कोर्ट की रिमांड के बाद, बालाजी को न्यायिक हिरासत में रखा गया था. हालांकि, जेल भेजे जाने के बजाय, उन्हें एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया जहां पर उनकी बाईपास सर्जरी की गई.
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