Vaccine Booster Dose: कोरोना वैक्सीन की डोज को लेकर एक बड़ा सवाल सबके मन में है कि आखिर हमारे शरीर में कब तक इसका असर रहेगा. साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या हमें बूस्टर डोज की भी जरुरत होगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सब सवाल इस बात पर निर्भर करते हैं कि हमारा इम्यून सिस्टम किस तरह से काम करता है और साथ ही वायरस किस तरह से नए वेरिएंट के तौर पर अपना रूप बदलता है. हालांकि फिलहाल इस बात को लेकर आम राय ये है कि लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की जरुरत पड़ेगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीनेशन के बाद कई मामलों में वायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक श्रमता बनी रहती है. यदि आप दोबारा वायरस के संपर्क में आते हैं तो ये प्रतिरोधक श्रमता दोबारा एक्टीवेट हो जाती है. वहीं कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता है. यदि किसी वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन के बाद मरीज के शरीर में ये प्रतिरोधक श्रमता नहीं बनती है तो ऐसे मामलों में बूस्टर डोज की जरुरत होती है.
B cells और T cells के कार्य करने की श्रमता पर होता है निर्भर
हमारे इम्यून सिस्टम में Immunity Response B cells मौजूद होते है. ये एक तरह के वाइट ब्लड सेल होते हैं जिनमें मौजूद रिसेप्टर्स वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही सिस्टम को सचेत कर देते हैं और उस से जुड़ जाते हैं. साथ ही हमारे इम्यून सिस्टम के एक अन्य हिस्से T cells की मदद से ये हमारे शरीर में एंटीबॉडी तैयार करते है. ये एंटीबॉडी हमारे इम्यून सिस्टम के फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेन्स मैक्रोफेज को वायरस को नष्ट करने के लिए तैयार कर देता है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के माइक्रोबायोलॉजी एवं सेल बायोलॉजी विभाग के सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर विजया एस के अनुसार, "B cell और T cell की मेमोरी का कुछ हिस्सा शरीर में मौजूद रहता है. जब दोबारा वहीं वायरस शरीर में प्रवेश करता है ये उसे पहचान लेते हैं और इम्यून सिस्टम को दोबारा एक्टिवेट कर देते हैं."
उन्होंने कहा कि, "कुछ वायरस जैसे कि रुबेला के मामले में इम्यूनिटी सिस्टम को दोबारा एक्टिवेट करने की श्रमता ज्यादा रहती हैं. वहीं कई मामलों में ऐसा नहीं होता है. इस सूरत में बूस्टर की जरुरत पड़ती है." साथ ही उन्होंने कहा, "हमें अब तक कोरोना वायरस के मामलें में इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है."
12 महीने के अंदर देनी पड़ सकती है बूस्टर डोज
वहीं वैक्सीन निर्माता कंपनी फायजर के सीईओ ऐल्बर्ट बॉर्ला ने कहा है कि, "वैक्सीन की दोनों डोज लगने के 12 महीने के अंदर लोगों को बूस्टर डोज की जरुरत पड़ सकती है." वहीं सीनियर वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन के अनुसार, "ऐसी उम्मीद है कि हमें बूस्टर डोज की जरुरत पड़ेगी. हालांकि हमें केवल एक बार इसकी जरुरत पड़ेगी या हर साल इस बूस्टर डोज को देने की जरुरत पड़ेगी इसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता."
इंग्लैंड के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार फायजर की दो डोज कोरोना के जितने वेरिएंट इस समय मौजूद है के खिलाफ 88 प्रतिशत और एस्टराजेनेका की दो डोज 60 तक असरकारक हैं. यदि आने वाले समय में नए वेरिएंट आते हैं और इन वैक्सीन की उनके खिलाफ लड़ने की श्रमता कम होती है तो ऐसी स्थिति में बूस्टर डोज देना अनिवार्य हो जाएगा.
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