The Indian Navy Vagir: हिंद महासागर (Indian Ocean) में चीन से चल रही जोर आजमाइश के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ताकत को बढ़ाने के लिए एक नई पनडुब्बी (Submarine) मिल गई है. स्कॉर्पीन (Scorpene) क्लास की पांचवी पनडुब्बी वागीर को मझगांव डॉकयार्ड ने तैयार कर भारतीय नौसेना को सौंप दिया है. जल्द ही वागीर भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो जाएगी.


भारतीय नौसेना और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (MDL) ने मंगलवार (20 दिसंबर) को बयान जारी कर बताया कि एक साल से ज्यादा से चल रहे व्यापक और कठोर परीक्षण के बाद वागीर अब इंडियन नेवी को सौंप दी गई है. एमडीएल के सीएमडी, वाइस एडमिरल नारायण प्रसाद (रिटायर) ने मुंबई में एक कार्यक्रम में नौसेना की पश्चिमी कमान के अधिकारियों को वागीर से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए.


एमडीएल ने क्या कहा? 


इस कार्यक्रम के बाद वागीर को नौसेना को सौंप दिया गया. इस अवसर पर बोलते हुए एमडीएल के सीएमडी ने कहा कि वागीर की सुपुर्दगी के साथ भारत पनडुब्बी निर्माण में एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर उभर कर सामने आया है. इस सबमरीन के माध्यम से एमडीएल ने भारतीय नौसेना की क्षमता और आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश की है. स्कॉर्पीन क्लास की चार अन्य पनडुब्बियां, आईएनएस कलवरी, खंडेरी, करंज और वेला पहले ही नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो चुकी हैं. इस क्लास की छठी पनडुब्बी, वगशीर के इनदिनों समुद्री-ट्रायल चल रहे हैं और 2023 तक मिलने की उम्मीद है.


प्रोजेक्ट क्या है? 


भारतीय नौसेना ने वर्ष 2005 में प्रोजेक्ट 75 के तहत फ्रांस के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को बनाने का करार किया था. इस करार के तहत एमडीएल शिपयार्ड को फ्रांस के साथ मिलकर ये पनडुब्बियां मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड भी तैयार करनी थी.


हालांकि, साल 2012 तक नौसेना को पहली सबमरीन मिल जानी चाहिए थी, लेकिन पहली स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी, कलवरी 2017 में ही भारतीय नौसेना को मिल पाई थी. खंडेरी वर्ष 2019 में नौसेना की जंगी बेड़े में शामिल हुई थी और करंज 2021 में मिली थी. वेला इसी साल नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हुई थी.


भारत के सामने चुनौती क्या है? 


हिंद महासागर में चीन की तरफ से भारत को लगातार चुनौतियां मिल रही है. चीन के स्पाई-शिप (Spy Ship) और युद्धपोत (Warships) तो लगातार हिंद महासागर में देखे जा ही सकते हैं साथ ही चीन अपने ओवरसीज-बेस भी बना रहा है. श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और जिबूती में चीन अपने बंदरगाह और मिलिट्री बेस तैयार कर रहा है, जिसके कारण चीनी नौसेना के युद्धपोतों की मौजूदगी भी भारत की समुद्री-सीमाओं के पास बढ़ गई है. चीनी नौसेना के पास इस समय 75-80 पनडुब्बियां है. इसके अलावा पाकिस्तान के लिए भी चीन आठ (08) पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है.


भारतीय नौसेना के पास है इतनी पनडुब्बी


मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के पास 17 पनडुब्बियां हैं जिनमें दो परमाणु पनडुब्बी है. इनमें से एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाले पनडुब्बी, आईएनएस चक्र है जो भारत ने रूस से लीज पर ली है. प्रोजेक्ट 75 के तहत जिन छह स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन का निर्माण मझगांव डॉकयार्ड में चल रहा है उसमें से चार नौसेना की जंगी बेड़े में शामिल हो चुकी हैं.


वागीर इस क्लास की पांचवी सबमरीन है. सरकार ने नौसेना के लिए छह अन्य पनडुब्बियों के लिए मंजूरी दे रखी है. प्रोजेक्ट-75 आई (इंडिया) के तहत एक भारतीय शिपयार्ड को किसी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर देश में ही इन छह पनडुब्बियां का निर्माण करना है. हालांकि, ये प्रोजेक्ट अभी शुरुआती चरण में ही है और ये तय नहीं हो पाया है कि कौन सी विदेशी कंपनी इस प्रोजेक्ट में भारत का साथ देगी.


क्या अनुमान है? 


एक अनुमान के मुताबिक भारतीय नौसेना को पूरे हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कुल 28 पनडुब्बियों की जरूरत है. इनमें से कम से कम 18 कन्वेंशनल सबमरीन होनी चाहिए यानि किलर सबमरीन (एसएसके), 06 परमाणु संचालित पनडुब्बी (न्यूक्लियर सबमरीन यानी एसएसएन) और कम से कम 04 परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां (न्यूक्लिर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन यानि एसएसबीएन) की जरूरत है.


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