नई दिल्ली: इश्क़ करना और इश्क़ लिखना दोनों ही बेहद मुश्किल काम है. जितनी रुकावट इश्क़ करने वालों के सामने आती है उतनी ही उनकी कहानी और किस्से लिखने वालों के सामने भी आती है. आज जब दुनिया भर में लोग वैलेन्टाइन-डे मना रहे हैं तो ऐसे में हम आपको कुछ लेखकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने न सिर्फ प्यार किया बल्कि उस एहसास को लिखा भी.
अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम के बारे में कहते हैं कि अगर इश्क़ की कोई सूरत होती तो वह अमृता की तरह ही दिखती. प्रेम में सिर से पांव तक डूबी यह स्त्री आजाद और खुद्दार ख्यालों की महिला थीं. प्रेम और आजादी दो विरोधाभासी शब्द हैं लेकिन अमृता की जिंदगी और कहानियां इस विरोधाभास में भी एक हो जाती है. प्यार भी करती हैं और आजाद भी रहती है. रिश्तें अगर आजादी की राह में बंधन लगे तो उस बंधन को तोड़कर खुली हवा में जीने और सांस लेने का नाम अमृता प्रितम है.
प्यार किस तरह आजादी मांगती है यह अमृता की लेखनी और जिंदगी दोनों में देखने को मिलती है. खुद को आजाद करना ही था कि सिर से पांव तक साहिर के प्रेम में डूबे होने के कारण अपनी बंधी-बंधाई गृहस्थी छोड़ देने के बावजूद जब अखबार में उन्हें यह खबर पढ़ने को मिलती है कि साहिर को उनकी जिंदगी की नई मुहब्बत मिल गई तो टूट जाती हैं . इसके बाद इश्क को कागज पर ऐसे उतारा कि आज कर लोग प्यार को अमृता की लेखनी से जानते हैं.
खलील जिब्रान
बात प्रेम की हो और खलील जिब्रान का नाम न आए तो प्यार अधूरा सा लगता है. खलील जिब्रान ने प्रेम पर इतना खूबसूरत लिखा है कि जितना पढ़ो उतना कम ही लगता है. खलील हर बार एक नई व्याख्या और नए दर्शन के साथ प्रेम को अभिव्यक्त करते हैं. उन्होंने लिखा कि 'प्रेम केवल खुद को ही देता है और खुद से ही पाता है. प्रेम किसी पर अधिकार नहीं जमाता, न ही किसी के अधिकार को स्वीकार करता है. प्रेम के लिए तो प्रेम का होना ही बहुत है.''
गुलज़ार
गुलज़ार की लेखनी में इश्क़ अलग-अलग रंगों और एहसासों में मिलती है. कभी गुलज़ार उर्दू भाषा से इश्क़ करते हुए लिखते हैं कि
ये कैसा इश्क़ है उर्दू ज़बां का
मज़ा घुलता है लफ़्ज़ों का ज़बां पर
तो कभी वो अपने महबूब से इस कदर मिलकर एक हो जाने की ख्वाहिश रखते हैं जिसमें फिर कोई भेद न रह पाए. वो लिखते हैं- 'मोरा गोरा अंग लईले मोहे श्याम रंग देई दे' कभी उनका इश्क ग़ालिब से होता है तो कभी मंटो से. प्यार ऐसा कि वो कहते हैं हाथ छूटे तो भी रिश्तें नहीं छोड़ा करते. गुलज़ार साहब ने शायर बनने के लिए भी सबसे बड़ी शर्त मोहब्बत करने की रखी है. वो लिखते हैं.
शायर बनना बहुत आसान है
बस एक अधुरी मोहब्बत की मुकम्मल डिर्गी चाहिए
मिर्ज़ा ग़ालिब
इश्क करें और ग़ालिब को न पढ़ें तो क्या खाक इश्क हुआ. ग़ालिब के यहां इश्क़-ए-हक़ीक़ी और इश्क़-ए-मिज़ाजी दोनों मिलती है.
ये इश्क नहीं आसां, इतना ही समझ लीजै,
इक आग का दरिया है, और डूबके जाना है
या फिर
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां, लेकिन फिर भी कम निकले
गोपालदास नीरज
हिन्दी पढ़ने वाला शायद ही कोई ऐसा पाठक हो जिसने गोपालदास नीरज की शायरी या कविताओं की पंक्ति को कभी अपने महबूब तक न पहुंचाया हो. नीरज ने हिन्दी गीतों में प्यार का वो खुशबू घोला जो आजतक फिजाओं में महक रही है.
"जब चले जाएंगे हम लौटके सावन की तरह, याद आएंगे प्रथम प्यार के चुंबन की तरह''
रूमी
सूफी कवि रहस्यवादी और दार्शनिक रूमी कई लोगों के पसंदीदा लेखकों में से एक हैं. उनके इश्क़ और इश्क की गहराई को लेकर लिखी गई कविता लोग आज भी पढ़ते हैं और उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं
प्रेम आपके और सब कुछ के बीच का सेतु है
आपका दिल रास्ता जानता है उस दिशा में दौड़ो
केवल हृदय से ही आप आकाश को छू सकते हैं
तुम जहां भी हो और तुम जो भी करते हो प्रेम में रहो
अपने शब्दों को उठाओ आवाज नहीं
यह बारिश है जिसमें फूल उगते हैं गरज नहीं
आपका हृदय एक महासागर के आकार का है
अपने आप को उसकी छिपी हुई गहराई में खोजो
इन लेखकों को आप भी पढ़िए और इस वैलेन्टाइन-डे प्रेम के रस में ऐसे डुबिए कि जब सुबह जागें तो प्रेम का एक और दिन पा जाने की खुशी रहे और फिर रात में जब सोने जाएं तो दिल में अपने प्रियतम के लिए प्रार्थना हो और होठों पर उसकी खुशी के लिए गीत.