Vande Bharat Female Driver: एशिया की पहली महिला यादव सुरेखा यादव जब देश की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत लेकर सोलापुर से मुंबई पहुंची तो उनका एक और सपना साकार हो गया. अब वह वंदे भारत ट्रेन की भी पहली महिला लोको पायलट हैं. अपनी इस उपलब्धि से सुरेखा यादव खूब खुश हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया कहा है.
सुरेखा यादव 13 मार्च को वंदे भारत ट्रेन लेकर मुंबई स्टेशन पर पहुंची तो उनके नाम के साथ जुड़ने के लिए एक उपलब्धि इंतजार कर रही थी. 34 साल के करियर में सुरेखा ने ऐसे तमाम काम किए जिन्होंने उन्हें उन महिलाओं की लिस्ट में ला रखा है जो देश की तमाम महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं. वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.
पीएम मोदी को कहा- थैंक्यू
वंदे भारत की पहली महिला ड्राइवर बनने पर सुरेखा यादव ने कहा, '1989 में मेरी नियुक्ति हुई थी. मैं पिछले 34 साल से काम कर रही हूं. मुझे मेरे माता-पिता और सास-ससुर का सहयोग मिला. मेरे पिता ने मुझे अच्छी शिक्षा दी जिसकी वजह से मैं आज इस मुकाम पर हूं. वंदे भारत ट्रेन मुंबई लाने के लिए मैं पीएम मोदी का शुक्रिया अदा करती हूं.'
एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर
एशिया की पहली महिला लोकोमोटिव पायलट होने का गौरव भी सुरेखा यादव के नाम के साथ जुड़ा है. महाराष्ट्र के सतारा में जन्मी सुरेखा ने यहीं के गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. 1989 में जब उन्होंने लोको पायलट के रूप में नौकरी शुरू की तो कई मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया जिसमें ये कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकतीं. उससे पहले भारतीय रेल में कोई महिला ड्राइवर नहीं बनी थी. उन्होंने असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में नौकरी शुरू की.
उन्हें अब वह मुंबई-पुणे-सोलापुर रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने का अवसर मिला है. सुरेखा यादव ने साल 2021 में एक इंटरव्यू में वंदे भारत ट्रेन चलाने की इच्छा जाहिर की थी. जब 13 मार्च को वह वंदे भारत ट्रेन लेकर मुंबई के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर पहुंची तो यह सपना भी पूरा हो गया.
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