Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्षकारों में पड़ी फूट, मुस्लिम समुदाय के हाथों बिकने का लगाया आरोप
Gyanvapi Case: जितेन सिंह बिसेन ने अपने बयान में कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब सोहन लाल आर्य इस प्रकार के गंभीर आरोप लगे हैं. इससे पहले भी उन पर मुस्लिम पक्ष का साथ देने का आरोप लग चुका है.
Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi-Shringar Gauri Case) के हिंदू पक्षकारों में टूट के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है. हिंदू पक्षकार इस मामले को लेकर एक-दूसरे के ऊपर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्षकारों में से एक जितेन सिंह बिसेन (Jiten Singh Bisen) ने बयान जारी करके बाकी हिंदू पक्षकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने बनारस ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में वादी लक्ष्मी देवी के पति डॉक्टर सोहन लाल आर्य पर मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के हाथों बिकने का आरोप लगाया है.
जितेन सिंह ने आरोप लगाया कि मुसलमानों के कहने पर ही उन्होंने ज्ञानवापी में स्थित भगवान आदि विश्वेश्वर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की कार्बन डेटिंग के लिए न्यायालय में मांग की है. क्योंकि मुस्लिम पक्ष चाहता है कि किसी प्रकार भी वह पवित्र शिवलिंग खंडित हो जाए और उसकी पवित्रता भंग हो जाए और डॉक्टर सोहनलाल आर्य उनके इस काम में पूरा सहयोग दे रहे हैं.
हिंदू पक्षकारों को पहले भी दिया धोखा
जितेन सिंह बिसेन ने अपने बयान में आगे कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब सोहन लाल आर्य इस प्रकार के गंभीर आरोप लगे हैं. इससे पहले भी उन पर मुस्लिम पक्ष का साथ देने का आरोप लग चुका है. इससे पूर्व भी 1995 में डॉक्टर सोहन लाल आर्य ने ज्ञानवापी परिसर को लेकर एक मुकदमा दायर किया था.
उस समय भी उन्होंने हिंदू समाज से खूब धन उगाही की और बाद में मुसलमानों के हाथों अपने धर्म और ईमान को बेचकर मुकदमे की पैरवी बंद कर दी. इसके कारण वह मुकदमा खारिज हो गया था. वह मुकदमा नंबर है 925/1995. उपरोक्त मुकदमे में ही डॉक्टर सोहनलाल आर्य को उस समय बहुत प्रसिद्धि मिली थी, जिसका उन्होंने लाभ उठाया और बाद में हिंदू समाज को ठेंगा दिखाया.
कोर्ट ने सुरक्षित रखा आदेश
गौरतलब है कि ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी मामले में गुरुवार (29 सितंबर) को कोर्ट में सुनवाई हुई थी. ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि हिंदू पक्ष ने मांग की कि एएसआई शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच करे. हिंदू पक्ष ने अर्घा और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की भी मांग की है. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब 7 अक्टूबर को इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएा.
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