Hanuman Chalisa outside gyanvapi premises: ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Premises) के बाहर आज हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने का ऐलान किया गया है. इसके साथ ही अवमुक्तेश्वरानंद जलाभिषेक की जिद पर अब भी अड़े हैं. इसी संगठन की ओर से दाखिल की गई एक याचिका पर आज वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) में सुनवाई भी होगी. ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने (Vajukhana) में शिवलिंग (Shivling) मिलने के दावे पर संत समाज सड़कों पर उतर आया है. ये मामला अदालत में है लेकिन वाराणसी में इसे लेकर हर रोज किसी ना किसी संगठन के जरिए पूजा (Worship) करने की मांग उठ रही है.


अखिल भारतीय ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद ने एक बार फिर ज्ञनवापी परिसर के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करने का ऐलान किया है. कार्यक्रम के मुताबिक सुबह काशी विश्वनाथ परिसर में मौजूद हनुमानजी की मूर्ति की पूजा की जाएगी. उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाएगी.


वाराणसी कोर्ट में पूजा करने की मांग को लेकर याचिका


इससे पहले भी इस संगठन से जुड़े लोग यहां पूजा कर चुके हैं. वहीं अखिल भारतीय ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद ने पूजा की मांग को लेकर याचिका लगाई है, जिसमें कोर्ट से मांग की गई है कि दिन में एक बार पूजा करने की उन्हें इजाजत मिले. इसी याचिका पर आज वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई भी होगी. संगठन ने याचिका में कहा कि हमारी छोटी सी मांग है कि हमें हमारे आराध्य की दिन में एक बार पूजा करने दें. पूजा का अधिकार प्रत्येक सनातन धर्मी का मौलिक अधिकार है इसलिए उन्होंने ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए अपने वकील रमेश उपाध्याय के जरिये जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की है.


अविमुक्तेश्वरानंद शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर अढ़े


वाराणसी (Varanasi) स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के वजूखाने में शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाने जाने का एलान करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteswaranand) को पुलिस (Police) ने उनके मठ में ही रोक दिया. इसपर शुक्रवार को उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग की पूजा करने का एलान कर प्रशासन (Administration) से इसकी अनुमति मांगी थी. लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी और शनिवार को उनके मठ के बाहर पुलिस बल (Police Force) तैनात कर दिया गया. जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भड़क गए. उन्होंने कहा कि मैंने अपने खुद के मोबाइल (Mobile) से आयुक्त को याचिका भेजी और अपने आदमी को पत्र के साथ उपायुक्त के ऑफिस भेजा. मेरे पास प्रमाण है. मैं यहां बैठूंगा और पूजा के बाद ही खाना खाऊंगा. न्यायालय (Court) का जो निर्णय होगा उसे हम मानेंगे. लेकिन न्यायालय का निर्णय आने तक क्या भगवान भूखे और प्यासे रहेंगे? हमने पुनर्विचार याचिका दायर की (प्रार्थना करने की अनुमति के लिए) लेकिन पुलिस से कोई जवाब नहीं मिला.


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