Varanasi Serial Blast: वाराणसी (Varanasi) में हुए सीरियल बम ब्लास्ट केस (Serial Bomb Blast) में गाजियाबाद (Ghaziabad) जिला एवं सत्र अदालत ने आरोपी वलीउल्ला (Waliullah) को फांसी और उम्र कैद की सजा सुनाई है. सरकारी वकील रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि संकटमोचन मंदिर धमाके मामले में फांसी की सजा के साथ 2 लाख 65 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है, साथ ही दशाश्वमेध घाट पर मिले जीवित बम(प्रेशर कुकर बम) के मामले में आरोपी वलीउलाह को उम्र कैद के साथ 1 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. ये फैसला 16 साल के लंबे इंतजार के बाद सुनाया गया है. बता दें कि शनिवार को कोर्ट ने वली उल्लाह को आईपीसी की धारा 302, 307,324,326,345, और 3,4,5, विस्फोटक अधिनियम के तहत  दोषी करार दिया था। वलीउल्लाह इस समय डासना जेल में बंद है.


जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि 7 मार्च 2006 को वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. पहला बम धमाका शाम लगभग 6.15 बजे वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में संकटमोचन मंदिर में हुआ था. इसमें लोग मारे भी गए थे, जबकि 26 लोग घायल हुए थे. 


ठीक 15 मिनट के बाद लगभग 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट थाना क्षेत्र में जम्मू रेलवे फाटक की रेलिंग के पास कुकर बम मिला था. पुलिस की मुस्तैदी के चलते यहां विस्फोट होने से बच गया था. जांच में पता चला कि विस्फोटक काफी बड़ी मात्रा में था, जिसका प्रभाव काफी दूर तक जाता और बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बन सकता था. इन दोनों मामलों में दो अलग अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे. इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, चोटिल व अंग भंग करने, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व आतंकी गतिविधि की धाराएं लगाई गई थी. इन्हीं आरोपों में अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को दोषी करार दिया था. जबकि जीआरपी वाराणसी थाना क्षेत्र में वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विश्राम कक्ष के सामने हुए धमाके के मामले में साक्ष्यों के अभाव के चलते अदालत ने वलीउल्लाह को बरी कर दिया था. वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए धमाके में 9 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे.



कोर्ट की सुरक्षा कर दी गयी थी कड़ी


वलीउल्लाह को सजा सुनाए जाने से पहले पुलिस ने ग़ाज़ियाबाद अदालत में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए. अदालत के तीन रास्तों को आवागमन लिए बंद कर दिया गया. सिर्फ मेन गेट के रास्ते से ही चेकिंग के बाद प्रवेश करने दिया जा रहा था. सुरक्षा के लिहाज से जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत की तरफ जाने वाली गैलरी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया. इस मामले से जुड़े वकीलों अलावा अन्य किसी को भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत की तरफ जाने नहीं दिया. समय समय पर बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वॉड अदालत परिसर में चेकिंग करते दिखे. 


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