By: ABP News Bureau | Updated at : 20 Jan 2018 08:36 PM (IST)
लखनऊ: कुछ लोग बिना किसी चर्चा और शोर शराबे के ख़ामोशी से अपना काम करते हैं. हो सकता है ये उनकी आदत हो या फिर उनकी मजबूरी. बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ऐसे ही नेता हैं. आज उन्होंने सुल्तानपुर में ज़िला अस्पताल के नए इमरजेंसी वार्ड का उद्घाटन किया. 24 बेड वाले इस वार्ड में सभी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं हैं. वरुण गांधी ने अपने सांसद फंड से इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये दिए थे.
सुल्तानपुर के एमपी वरुण गांधी ने इससे पहले यहां के लोगों के लिए 30 घर बनवाए थे. पिछले ही साल एक कमरे वाले इन मकानों को उन्होंने ग़रीब लोगों के बीच बांट दिया. अभी ऐसे 100 घर और बन रहे हैं. जिन्हें अगले कुछ महीनों में ग़रीब परिवारों को दे दिया जाएगा. बेघर लोगों को फ्री में मकान मिल जाना किसी सपने के सच होने जैसा है. ये सब वरुण गांधी ने अपने ख़र्चे से किया. इसके लिए न तो उन्होंने किसी से मदद ली और न ही सांसद निधि से एक पैसा लिया.
बीजेपी में हाशिए पर चल रहे वरुण गांधी इन दिनों अपनी नई छवि बनाने में लगे हैं. हाल के दिनों में उन्होंने लीक से हट कर कई मुद्दे उठाए. सांसदों के वेतन बढ़ाए जाने का उन्होंने लोक सभा में विरोध किया था. वरुण गांधी ने कहा कि एमपी को अपनी तनख़्वाह बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है. पिछले 10 सालों में सांसदों के वेतन 4 सौ गुना बढ़ चुके हैं. इसी दौरान इंग्लैंड में वेतन सिर्फ़ 13 प्रतिशत बढ़े.
बीजेपी नेता ने सांसदों की तनख़्वाह बढ़ाने के लिए अलग से एक संस्था बनाने की मांग की. रिटायर हो चुके नौकरशाहों के प्राइवेट कंपनियों में काम करने पर रोक लगाने की मांग वे पहले ही कर चुके हैं. वरुण गांधी के चुनाव आयोग को ‘नक़ली टाइगर’ कहने पर भी विवाद खड़ा हो गया था. उन्होंने कहा था कि चुनाव में ग़लत आचरण करने पर आयोग ने न तो किसी पार्टी और न ही किसी नेता के ख़िलाफ़ कभी कार्रवाई की है.
कभी बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव रहे वरुण गांधी अब पार्टी में अलग थलग पड़ गए हैं. कभी वे पार्टी में पश्चिम बंगाल के प्रभारी हुआ करते थे. लेकिन पिछले साल यूपी विधान सभा चुनाव में वरुण गांधी को स्टार प्रचारक तक नहीं बनाया गया. जबकि कई सर्वे में सीएम के लिए पॉपुलर चेहरों में उनका भी नाम आया. इसीलिए अब उन्होंने अपने काम करने का अपना तरीक़ा बदल लिया है. कभी मुसलमानों के खिलाफ उन्होंने पीलीभीत में विवादित भाषण दिया था. मायावती के राज में उन पर एनएसए लगा और कई दिनों तक जेल में रहे. कोर्ट में अब भी केस चल रहा है. पीलीभीत से ही वे पहली बार एमपी बने. अब यहाँ से उनकी मां मेनका गांधी सांसद हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी.
लेकिन वरुण गांधी अब बहुत बदल गए हैं. इन दिनों वे देश भर में घूम-घूम कर नौजवानों से मिल रहे हैं. अपने मन की बात कर रहे हैं. कभी वे हैदराबाद में तो कभी चंडीगढ़ में सेमिनारों में रहते हैं. उनके एक सहयोगी ने बताया कि हर महीने वे ऐसे कम से कम 15 कार्यक्रम कर रहे हैं. हिंदी और अंग्रेज़ी के बड़े बड़े अख़बारों में लगातार कॉलम लिख रहे हैं. राजनीति के दांव पेंच से अलग वरुण गांधी की ये कोशिशें कहीं उनकी सोची समझी रणनीति तो नहीं है.
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