फिर सामने आया वरुण गांधी का बेबाक अंदाज, 'पिछले पांच साल से नहीं की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिरकत, मुझे नहीं लगता मैं उसमें था."
भाजपा ने 80 सदस्यों की अपनी नई कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट से पीलीभीत से लोकसभा सांसद वरुण गांधी और उनकी मां सांसद मेनका गांधी को बाहर कर दिया गया है.
भाजपा सांसद वरुण गांधी को अपनी ही पार्टी के खिलाफ उनकी बेबाकी और तेज तर्रार रवैए के लिए जाना जाता है. माना जा रहा है कि, उनकी यही बेबाकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनको हटाने की बड़ी वजह बनी है. हालांकि वरुण गांधी ने एक बार फिर अपने बेबाक अंदाज में बात करते हुए इन सब बातों को दरकीनार किया है. उन्होंने कहा है कि, "मैंने पिछले पांच सालों में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक भी बैठक में शिरकत नहीं की है, मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी उस का हिस्सा था."
बता दें कि, भाजपा ने 80 सदस्यों की अपनी नई कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से लोकसभा सांसद वरुण गांधी और उनकी मां उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से लोकसभा सांसद मेनका गांधी को बाहर कर दिया गया है.
लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में वरुण का स्टैंड पार्टी के लिए बना सरदर्द
पिछले कुछ समय से वरुण गांधी तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में लगातार आवाज उठाते रहे हैं. वहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. वरुण ने सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में भी लखीमपुर में किसानों की हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी.
वरुण भाजपा के ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर खुलकर किसानों का समर्थन किया है. उन्होंने गुरुवार सुबह ही ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा था कि हत्या के जरिए प्रदर्शनकारियों को चुप नहीं कराया जा सकता और जवाबदेही तय होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने मामले में सीबीआई जांच की मांग और मृतकों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की थी. वरुण गांधी के इन तेवरों की वजह से बीजेपी की किरकिरी हो रही थी. ऐसे में पार्टी के इस फैसले को वरुण के प्रति उसकी नाराजगी के तौर पर भी देखा जा रहा है.
आखिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी से क्यों बाहर हुए वरुण और मेनका?
जहां भाजपा नेताओं के एक धड़े ने वरुण और उनकी मां मेनका गांधी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर होने को फेरबदल की सामान्य प्रक्रिया बताया. वहीं कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि वरुण को पार्टी के खिलाफ अपने बयानों की कीमत चुकानी पड़ी है. भाजपा के एक सीनियर नेता के मुताबिक, "वरुण ने अपने बयानों से ये दर्शाया कि जैसे सारी गलती पार्टी के नेताओं की है. हम अब भी लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. हम सबका भी यही मानना है कि ये एक बेहद ही दुखद घटना थी. लेकिन ऐसे समय में जब पूर विपक्ष भाजपा को इस घटना का को लेकर टारगेट कर रहा है ऐसे वक्त में वरुण को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए था."
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