Vegetarian Crocodile Babia Dies: केरल (Kerala) के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर (Sri Ananthapadmanabha Swamy Temple) की झील (Lake) में बीते कई दशकों से रह रहा एकमात्र मगरमच्छ (Crocodile) रविवार (9 अक्टूबर) देर रात मृत पाया गया. दावा किया जाता है कि यह मगरमच्छ शाकाहारी (Vegetarian Crocodile) था. मंदिर के अधिकारियों ने  बताया कि मंदिर की झील में 70 साल से रह रहे इस मगरमच्छ को ‘बबिया’ (Babia) नाम से पुकारा जाता था. वह शनिवार से लापता था.


अधिकारियों ने कहा कि रविवार रात करीब साढ़े ग्यारह बजे मृत मगरमच्छ झील में पाया गया. मंदिर प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस और पशुपालन विभाग को दी. मृत मगरमच्छ को झील से बाहर निकाल कर शीशे के बक्से में रखा गया. विभिन्न राजनेताओं सहित कईं लोगों ने सोमवार को उसके अंतिम दर्शन किए. मंदिर के अधिकारियों का दावा है कि मगरमच्छ शाकाहारी था और मंदिर में बने ‘प्रसादम’ पर ही निर्भर था. बबिया मंदिर का प्रसाद चावल और गुड़ खाता था. 


हस्तियों ने जताया शोक


केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि 70 वर्षों से अधिक समय से मंदिर में रहने वाले ‘भगवान के इस मगरमच्छ’ को ‘सद्गति’ प्राप्त हो. 






प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने भी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बबिया को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा, ''बबिया चला गया. दशकों तक, वह कुंबला अनंतपुरम महाविष्णु मंदिर में लगातार मौजूद रहा. लाखों श्रद्धालुओं ने इसे भगवान की छवि मानकर इसके दर्शन किए. प्रणाम.''


महाविष्णु मंदिर उत्तरी केरल के कासरगोड जिले के कुंबला के पास अनंतपुर में है. वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, मंदिर को तिरुवनंतपुरम के श्री अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर के मूल स्रोत 'मूलस्थान' के रूप में जाना जाता है.


मंदिर की वेबसाइट पर दी गई ये जानकारी


मंदिर की वेबसाइट के मुताबिक, मंदिर की झील से जुड़ी बहुत ही असामान्य घटनाएं हुईं. पुराने लोग बताते हैं कि मंदिर की झील में एक ही मगरमच्छ रहता है. बबिया, जिसकी मृत्यु हुई, वह तीसरा इस झील का तीसरा मगरमच्छ था. मंदिर की वेबसाइट के मुताबिक, जब एक मगरमच्छ मर जाता है तो झील में दूसरा आ जाता है.


वेबसाइट में बताया गया है कि मंदिर के पास कोई नदी या तालाब नहीं है जहां मगरमच्छ मौजूद हों. मगरमच्छ इंसानों के दोस्त हो सकते हैं और उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. महाविष्णु मंदिर की झील में इसकी मौजूदगी भागवत पुराण की प्रसिद्ध गजेंद्र मोक्ष कहानियों में से एक की याद दिलाती है.


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