भोपाल: मध्य प्रदेश के सब्जी किसानों के बुरे दिन चल रहे हैं. खेतों में सब्जियां पक कर तैयार हैं मगर कोरोना के चलते आवागमन बंद होने से ये सब्जियां मंडी तक नहीं पहुंच पा रहीं और खेतों में लगे लगे ही सूख रही हैं. फल सब्जी और फूलों का नुकसान का अंदाजा लगाये तो पूरे प्रदेश में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा किसानों को होना है.
सिहोर जिले के नई चंदेरी गांव अपनी बेहतरीन सब्जियों के लिये जाना जाता है. इस गांव के किसान संतोप मेवाड़ा हर साल अपने खेतों की सब्जी से सीजन में दो से ढाई लाख रुपये कमाते हैं मगर इस बार हालत ऐसी है कि वो अपने खेत में लगी ककडी, बैगन और टमाटर तोड़ ही नहीं रहे. उनका कहना है कि इन सब्जियों को तोड़ कर कहां ले जायेंगे लॉकडाउन के चलते सिहोर की सीमाएं सील हैं.
संतोप मेवाड़ा के खेतों में लगे ताजे बैगन बड़े हो गये और पूरी फसल अब सूखने की कगार पर है उनको उम्मीद थी कि अच्छी आयी फसल इस बार फिर लाख रुपये का मुनाफा देकर जायेगी. सबसे बुरा हाल तो उन किसानों का है जिन्होंने टमाटर बो दिये थे. चंदेरी के पास ही पिपलिया मीडा गांव है. टमाटर बोेने वाले किसान भगवत सिहं बताते हैं कि टमाटर लगे लगे सूख रहे हैं. कभी हम इनको तोड़ने पर उतावले होते थे मगर अब तो इनकी तरफ देेखते भी नहीं. इसी गांव के भगवत सिहं कहते हैं की अब हम सब्जियां जानवरों को ही खिला पा रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेश में फूल सब्जी और फल उगाने वाले किसानों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सब्जी का रकबा तेजी से बढ़ा है. और ये नगद फसल किसानों को संपन्न बना रही है मगर लॉकडाउन ने सारा गणित बिगाड़ दिया है. किसान अब अपने खेत की सब्जियां जानवरों को खिलने पर मजबूर हैं.
किसान नेता एमएस मेवाड़ा कहते हैं की इस बाए सब्जियां बहुत अच्छी आईं हैं उनको ऐसे सूखते देख दिल रोता है. इस हालत में किसानों के पास अब सिवाय सरकार की मदद के सहारे रहने के कुछ नहीं है. मंडी बंद होने से सब्जियां तो मंदिर बंद होने से फल ओर फूल की बिक्री खत्म हो गयी है. पूरे पदेश में इस महामारी से करीब हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
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