नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने विपक्ष को बड़ा झटका देते हुए सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को तकनीकि आधार पर खारिज कर दिया है. वैकेंया नायडू ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए 20 पन्ने का आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि विपक्ष का प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है.


रविवार को वेंकैया नायडू हैदराबाद की यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली वापस आ गए थे. उन्होंने लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी के मल्होत्रा, पूर्व विधायी सचिव संजय सिंह से विचार विमर्श किया. आज प्रधानमंत्री मोदी भी इसी मुद्दे पर उपराष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले थे.


सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है कांग्रेस
कांग्रेस को शायद इस कदम का पहले से आभास था. इसीलिए कांग्रेस ने पहले ही कह दिया था कि अगर महाभियोग के नोटिस को नामंजूर किया तो फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. ऐसे में कांग्रेस ने उनके फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का भी विकल्प खुला रखा था.


आज सीजेआई को कोर्ट में बैठना है
कांग्रेस ने कल कहा था कि जब तक आरोपों की जांच नहीं हो जाती चीफ जस्टिस को कोर्ट नहीं जाना चाहिए. आज चीफ जस्टिस की कोर्ट में तीन मामले लगे थे जिनकी उन्हें सुनवाई करनी है. वैंकेया नायडू के इतनी जल्दी फैसला लेने के पीछ यह एक कारण माना जा रहा है.


क्या होता है महाभियोग प्रस्ताव?
सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी जज को हटाने के लिए महाभियोग का प्रावधान संविधान की धारा 124 ( 4 ) में किया गया है, जिसे महाभियोग कहा जाता है. संविधान के इस प्रावधान को लागू करने के लिए Judges Inquiry Act के तहत नियम बनाए गए हैं.


महाभियोग का इतिहास
वैसे आजतक संसद में कोई भी महाभियोग प्रस्ताव या तो पारित नहीं हो पाया या संसद पहंचने के पहले ही जज ने इस्तीफ़ा दे दिया. 1993 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वी रामास्वामी के ख़िलाफ़ राज्यसभा में तो प्रस्ताव पारित हो गया लेकिन लोकसभा में पारित नहीं हो पाया.