नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में कई नागरिक सुविधाओं पर अस्थायी प्रतिबंधों का उद्देश्य उपद्रव और अशांति फैलाने की शरारती तत्वों की मंशा को नाकाम बनाना है. उन्होंने कहा कि अब धीरे-धीरे इन प्रतिबंधों को हटाया जा रहा है. नायडू ने जम्मू कश्मीर में हाल ही में निर्वाचित सरपंचों से मुलाकात के दौरान कहा कि स्थानीय प्रशासन कई प्रतिबंधों में ढील दे रहा है. उन्होंने बताया कि संचार सुविधाएं भी चरणबद्ध तरीके से शुरू की जा रही है.
नायडू ने सरपंचों के साथ बैठक की जानकारी ट्विटर पर साझा करते हुये कहा, ‘‘आज अपने निवास पर जम्मू कश्मीर से आये सरपंचों के शिष्टमंडल से मुलाकात की और संविधान का अनुच्छेद 370 हटने के बाद, क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों को तत्परता से जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए निष्ठापूर्वक अथक प्रयास करने का आग्रह किया.’’
उपराष्ट्रपति ने राज्य में मौजूदा हालात के बारे में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में लगाये गये अस्थायी प्रतिबंधों का उद्देश्य शरारती तत्वों द्वारा अशांति और उपद्रव की संभावना को रोकना तथा उसके कारण जान-माल की संभावित हानि से नागरिकों को बचाना है.’’
पंचायत चुनाव को लेकर जताई खुशी
उन्होंने राज्य में पंचायती राज व्यवस्था मजबूत होने के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद, वहां भी पंचायती राज से जुड़े संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों के प्रावधान स्वत: ही जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे.
नायडू ने जम्मू कश्मीर में पंचायतों के चुनाव पर खुशी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘मुझे हर्ष है कि जम्मू कश्मीर में दशकों बाद, राज्यपाल शासन के दौरान, सफलतापूर्वक पंचायत चुनाव आयोजित किए गए तथा पंचायतों को संविधान सम्मत अधिकार दिए गए हैं. लगभग 4500 पंचायतों में से 3500 पंचायतों के चुनावों में लगभग 74 प्रतिशत मतदाताओं ने 35000 पंचों को चुना है.’’
पंचायत को दिए जा रहे हैं अधिकार
उन्होंने पंचायतों के वित्तीय अधिकारों में दस गुना बढ़ोतरी का जिक्र करते हुये कहा कि पंचायतों को अधिकार दिया गया है कि वे कर के माध्यम से अपना राजस्व बढ़ा सकें तथा प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी विकास योजनाओं का सोशल आडिट/लेखा परीक्षा करवा सकें.
नायडू ने कहा कि पंचायतों को अधिकाधिक अधिकार दिए जा रहे हैं. पंचायतों को सार्थक और सक्षम बनाने के लिए पर्याप्त कोष, कार्ययोजना और इसे लागू करने के लिये अधिकारियों और कर्मचारियों का अमला होना आवश्यक है.
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