नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर विपक्ष ने राज्यसभा के संचालन में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मंगलवार को सदन से बहिष्कार कर दिया. अपने ऊपर लगे आरोपों से आहत वेंकैया नायडू ने राज्यसभा के सभी सदस्यों को चिठ्ठीकर आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उन्हें सदन की गरिमा का ख्याल रखने की नसीहत दी.
राज्यसभा के कार्रवाही मंगलवार को शून्यकाल में शुरू होते ही विपक्ष की मांग पर मच गया हंगामा. तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर राज्य प्रशासन में दखल देने का आरोप लगाते हुए चर्चा की मांग की.
इस मांग को नकारते हुए वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों के लिए एक बार मे ही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी. दो बजे कार्यवाही शुरू होते ही पूरे विपक्ष ने राज्यसभा से बहिष्कार करते हुए वाकआउट कर दिया. विपक्ष ने वेंकैया पर विपक्ष की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया.
सभापति का बचाव करते हुए सदन के नेता और वित्तमंत्री अरुण जेटली उलटा विपक्ष पर आरोप लगा दिया. जेटली के मुताबिक़ विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में जो किया वैसा कभी नहीं हुआ. उन्होंने एक ऐसा मुद्दा बनाया जो था ही नहीं.
वैंकेया नायडू ने क्या कहा?
अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए सभापति वैंकेया नायडू ने कहा, ''मैं निजी तौर पर मैं चिंतित हुं, मैं केवल राज्यसभा ही नही बल्कि विधानसभा, जिला परिषद, बल्की लोकल बॉडी में भो हॉउस चले. कई मामले राज्यों के मामले थे. बावजूद मैंने उठाने का मौका दिया. हालांकि इसके बावज़ूद लोगों ने बाहर मेरे बारे में कई बातें कही और मैं उसमे नहीं जाना चाहता हुं. मेरा प्रयास केवल सदन चलाने का है और भरोसा देता हूं कि नियम के मुताबिक़ जो भी मुद्दे उठाना चाहते हैं, उसका मौका दिया जाएगा.''