टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट फैसला सुनाने वाली है, इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके की पूर्व सांसद की कनिमोझी मुख्य आरोपी हैं, इनके अलावा कई कंपनियां और कई कारोबारी भी इसमें आरोपी हैं.
टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की बात सबसे पहले सामने आयी थी साल 2010 में, साल 2010 में सामने आयी थी सीएजी रिपोर्ट, सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जिस दौरान राजा दूरसंचार मंत्री थे, उस दौरान जो टूजी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया था, उससे देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था. टूजी घोटाले से जुड़े तीन मामलों में अदालत को अपना फैसला सुनाना है, इसमें दो सीबीआई और एक केस प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया था.
ए राजा पर दूरसंचार मंत्री रहते हुए शाहिद बलवा की कंपनी स्वान टेलिकॉम को नियमों को ताक पर रखकर 2जी लाइसेंस देने का आरोप है. आरोप है कि जब डीएमके की पूर्व सांसद कनिमोझी कलाइंगर टीवी की डायरेक्टर थीं उस वक्त 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के बदले डीबी ग्रुप ने कलाइंगर टीवी को 200 करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी. आरोप है कि ए राजा के मनमाने तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटन करने की वजह से सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ.
अदालत में सुनवाई के दौरान दलील देते हुए ए राजा ने कहा कि उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है, उस दौरान जो भी फैसले लिए गए थे वो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जानकारी में थे और रही बात टूजी स्पेक्ट्रम के आवंटन की तो उस दौरान कोई घोटाला नहीं हुआ है.
ए राजा का केस उस दौरान और ज्यादा खराब हो गया जब साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने राजा के कार्यकाल के दौरान आवंटित किए गए टूजी स्पेक्ट्रम के सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे. सीबीआई अदालत ने अक्तूबर 2011 में आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने, फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने, सरकारी पद के दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं में आरोप तय किए थे, दोषी पाए जाने पर आरोपियों को 6 महीने की सजा से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है.
आईपीसी की धारा 409 कहती है कि अगर अदालत इस धारा के तहत किसी को दोषी करार देती है तो उसको उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है, ऐसे में अगर अदालत ने अपने फैसले में ए राजा समेत बाकी आरोपियों को आईपीसी की धारा 409 के तहत दोषी करार दिया तो आऩे वाले दिनों में उनकी मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं.