जेडे हत्याकांड: बुधवार को मुंबई की विशेष मकोका अदालत सुनाएगी फैसला, छोटा राजन का क्या होगा?
साल 2015 में इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तारी के बाद पत्रकार जेडे हत्याकांड का पहला ऐसा मामला है जिसमे छोटा राजन के ख़िलाफ़ मुकदमा चला.
नई दिल्लीः 7 साल पुराने पत्रकार जेडे हत्याकांड के मुकदमे में मुंबई की विशेष मकोका अदालत बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी. इसके बाद छोटा राजन का क्या होगा इस सवाल का जवाब कल मिल सकता है. जून 2011 में जेडे की हत्या के बाद देशभर में पत्रकारों ने आंदोलन किया था. इस मामले की शुरुआती जांच पहले मुंबई पुलिस ने की थी, फिर इसे सीबीआई को सौंप दिया गया.
साल 2015 में इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तारी के बाद पत्रकार जेडे हत्याकांड का पहला ऐसा मामला है जिसमे छोटा राजन के ख़िलाफ़ मुकदमा चला. मुकदमे की सुनवाई के दौरान छोटा राजन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था और वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये अदालत में उसकी हाजिरी होती थी.
जेडे हत्याकांड 11 जून 2011 की दोपहर मुंबई के पवई इलाके में अंग्रेजी अखबार मिड डे के लिये काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार ज्योति डे की 5 गोलियां मारकर अंडरवर्ल्ड के शूटरों ने हत्या कर दी. हत्या के वक्त जेडे अपनी मोटरसाईकिल पर सवार थे. काफी देर से पीछा कर रहे शूटरों ने पीछे से उनपर हमला किया. पास ही के हीरानंदानी अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. मुंबई पुलिस ने इस मामले की तहकीकात शुरू की और जल्द ही जेडे पर गोलियां बरसाने वाले शूटरों को गिरफ्तार कर लिया.
छोटा राजन ने शक की बिनाह पर जेडे की हत्या करवाई तहकीकात आगे बढने पर मुंबई पुलिस ने पाया कि अंडरवर्लड डॉन छोटा राजन ने शक की बिनाह पर जेडे की हत्या करवाई थी. राजन को शक हो गया था कि जेडे उसके दुश्मन दाऊद इब्राहिम से मिल गये हैं. इस वजह से वे अपने अखबार में छोटा राजन के खिलाफ खबरें लिख रहे थे. राजन को ये भी शक था कि उसे मरवाने के लिये जेडे डी कंपनी की मदद कर रहे हैं क्योंकि जेडे को लंदन और फिलीपिंस में मिलने के लिये बुलाया गया था.
जेडे मुंबई अंडरवर्ल्ड पर लिख रहे थे किताबें जीरो डायल जेडे की लिखी हुई किताब है. उसे मिलाकर जेडे मुंबई अंडरवर्ल्ड पर 2 किताबें लिख चुके थे. जेडे अपनी तीसरी किताब छोटाराजन पर लिख रहे थे. इस किताब में वे छोटा राजन की जिंदगी के हर पक्ष को पेश करना चाहते थे. छोटा राजन पर रिसर्च के लिए वे कई लोगों से मिले जिनमे छोटा राजन के दुश्मन डी कंपनी के लोग भी शामिल थे. बस इसी बात ने राजन के कान खड़े कर दिए. राजन को लगने लगा डे दाऊद गिरोह के लिए काम करने लगे हैं.)
चिंदी- फ्राम रेग्स टू रिचेस जो किताब जेडे लिख रहे थे उसका नाम था चिंदी- फ्राम रेग्स टू रिचेस, जिसमें कि छोटा राजन की एक मामूली डॉन से बडे अंडरवर्लड डॉन बनने तक की कहानी थी. पुलिस के मुताबिक छोटा राजन के मन में जेडे के प्रति नफरत पैदा करने के लिये एक अन्य पत्रकार जिगना वोरा ने भी अहम भूमिका निभाई. जिगना ने ही राजन को जेडे से जुडी जानकारी दी. पुलिस का कहना है कि जिगना को जेडे की हत्या की साजिश की जानकारी थी और इसीलिये उसको भी इस मामले में आरोपी बनाया गया.
मामले में कुल 13 आरोपी हमले के बाद खुद को छोटा राजन बतानेवाले शख्स ने मुम्बई के कुछ पत्रकारों को फोन भी किया और जेडे की हत्या की जिम्मेदारी ली. राजन कहना था कि जेडे को मारकर उसने गलती की है लेकिन जेडे के खिलाफ उसके कान भरे गए थे. जिगना वोरा की दलील है कि वो बेगुनाह है. जेडे हत्याकांड में उसकी कोई भूमिका नहीं है. पुलिस ने जांच में अपनी कमजोरी छिपाने के लिये उसे आरोपी बना दिया. इस पूरे मामले में छोटा राजन, शूटर सतीश थंगप्पन, पत्रकार जिगना वोरा समेत कुल 13 आरोपी थे, जिनमें एक आरोपी विनोद असरानी की मुकदमे के दौरान मौत हो गई. नयन सिंह भिष्ट नाम का एक आरोपी अब भी फरार है.
छोटा राजन से नहीं मिला पूछताछ का मौका जेडे मर्डर केस की शुरुआती जांच मुम्बई पुलिस ने की और शूटरों समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जब छोटा राजन को इंडोनेशिया से पकड़ कर भारत लाया गया तब मुम्बई पुलिस को उससे पूछताछ का मौका ही नही मिला. महाराष्ट्र सरकार ने जेडे मर्डर केस समेत छोटा राजन के खिलाफ दर्ज करीब 70 मामले सीबीआई को सौंप दिए. मुकदमे के दौरान कुछ गवाह अपने बयान से मुकर गये तो कुछ अदालत में पेश ही नहीं हुए. बचाव पक्ष का कहना है कि सीबीआई का मामला कमजोर है और कई आरोपी निर्दोष छोड़ दिये जायेंगे.
जे डे के परिवार में उनकी पत्नी, मां और छोटी बहन थीं. पिछले साल ही उनकी मां इस उम्मीद के साथ गुजर गयीं की उनके बेटे को इंसाफ मिलेगा. इस सवाल का जवाब विशेष मकोका कोर्ट के आदेश में ही मिल सकेगा.