नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल रामदास समेत भारत के क़रीब 120 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने 'मुस्लिम रेजिमेंट' को लेकर फेक न्यूज़ फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की है. इसके लिए सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है.


'मुस्लिम रेजिमेंट' भारतीय सेना में कभी नहीं था


अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक, सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है कि साल 2013 से झूठ फैलाया जा रहा है कि साल 1965 के भारत-पाकिस्तान जंग में मुस्लिम रेजिमेंट ने पाकिस्तान से लड़ने से मना कर दिया था. पत्र में कहा गया है कि ऐसा कोई रेजिमेंट भारतीय सेना में कभी नहीं था, बावजूद इसके यह फ़ेक न्यूज़ अब भी सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है.


पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में भारत का पाकिस्तान और चीन दोनों से सीमा पर तनाव चल रहा है, ऐसी स्थिति में इस तरह का झूठ फैलने से खतरा पैदा हो सकता है.


कई मुसलमान सैनिकों ने साल 1965 की लड़ाई लड़ी- सैन्य अधिकारी


सैन्य अधिकारियों ने पत्र में उदाहरण गिनाते हुए कहा है कि साल 1965 के युद्ध में हवलदार अब्दुल हामिद को सेना का सर्वोच्च पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ दिया गया, मेजर (बाद मं लेफ्टिनेंट जनरल) मोहम्मद जाकी और मेजर अब्दुल रफी खान को वीर चक्र मिले. इनके अलावा भी कई मुसलमान सैनिकों ने साल 1965 की लड़ाई लड़ी.


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