16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन उत्तर-पश्चिमी इलाके जहांगीरपुरी में हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद शोभायात्रा के दौरान इतना बढ़ गया कि पत्थरबाजी के सैकड़ों विडियोज सामने आए. धार्मिक आयोजन हिंसा वाले माहौल में बदल गया. अब इस मामले में पुलिस की कई टीमें जांच में जुटी हुई हैं और इलाके में भारी संख्या में अब भी पुलिसबल मौजूद है.
शनिवार शाम संत महामंडल, सनातन धर्म मंदिर समिति और विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधि मंडल हिंदू परिवारों से मिलने के लिए पहुंचा, लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें कुशल चौक से आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई. संत समाज ने कहा है कि जिन हिंदुओं को इस केस में बंद किया गया है, उन्हे संत समाज द्वारा हर प्रकार की सहायता, जिसमें कानूनी मदद, आर्थिक सहायता , बच्चों की पढ़ाई का प्रबंध किया जाएगा.
संत समाज के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य राजेश्वरानंद कहते हैं कि "संत का मकसद सेवा, शांति होता है. जिन लोगों को बेवजह फंसाया गया है, उनसे मिलने हम आए, लेकिन हमें मिलने नही दिया गया. पुलिस ने कहा कुशल चौक से आगे नहीं जा सकते तो हम नही गए." संत राजेश्वरानंद के अनुसार इलाके में मौजूद शांति पुलिस की कड़ी निगरानी के कारण है." ये पुलिस के कारण शांति है, उनकी गैर- मौजूदगी में जब शांति होगी तो माहौल ठीक माना जाएगा."
विश्व हिंदू परिषद के स्वामी कंचन गिरि कहते हैं कि "जब शांति हो गई तो मतलब हम अपने हिंदू भाइयों से मिल सकते हैं, लेकिन हमे उनके घर नही जाने दिया गया. वास्तविक धरातल पर कोई शांति नहीं है. हमे क्यों उनसे मिलने नही दिया जा रहा, जवाब दिया जाए." संत और VHP का मंडल हिंदू परिवारों से मिलना चाहता था, जिनपर इस केस को लेकर कार्यवाही हुई है. हालांकि पुलिस द्वारा फिलहाल परमिशन नही दी गई. स्वामी कंचन गिरि आरोप लगाते हुए कहते हैं कि "जिन पर कार्यवाही होनी चाहिए उनपर कारवाई नही हो रही. अगर ये जांच का विषय है तो हमारे हिंदू भाइयों पर क्यों कार्यवाही हो रही है? उन्होंने तो पत्थर चलाए नही."
बीते दिन जहांगीरपुरी इलाके में कौशल चौक पर सद्भावना बैठक आयोजित की गई थी. जिसमे हिंदू और मुस्लिम पक्ष द्वारा हनुमान जयंती के दिन हुई घटना की निंदा की गई थी साथ ही पुलिस प्रशासन को यह आश्वास्त किया गया था कि अब इस इलाके में शांति बनी हुई है और किसी भी प्रकार की हिंसक घटना भविष्य में भी नही होगी.
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