प्रयागराज: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की धर्म संसद खत्म होने के बाद आज से प्रयागराज में वीएचपी की धर्म संसद शुरू हो रही है. दो दिन चलने वाली धर्म संसद कुंभ मेले में लगे वीएचपी कैंप में ही होगी. पहले दिन का एजेंडा फ़िलहाल तय नहीं है लेकिन वीएचपी का कहना है कि मुख्य मुद्दा राम मंदिर निर्माण का है. इसमें राम मंदिर को लेकर मौजूदा हालात, केंद्र सरकार का मंदिर को लेकर रुख, सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामला जैसे मुद्दे शामिल हैं.


वीएचपी की धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास महाराज, राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदांती, वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस कोकजे, बाबा रामदेव, यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्या भी शामिल होंगे.


आज होने वाली वीएचपी की धर्म संसद में राम मंदिर को लेकर वर्तमान स्थिति, केंद्र सरकार का मंदिर को लेकर रुख, सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले जैसे विषय शामिल किए जाएंगे. शाम को प्रस्ताव लाया जाएगा, अखाड़ा परिषद ने इस बैठक का बॉयकाट किया है.


शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती बोले- 21 फरवरी से शुरू होगा काम
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की बुलाई धर्म संसद में प्रस्ताव पास हुआ कि 21 फरवरी से अयोध्या में राम मंदिर का काम शुरू हो जाएगा. धर्म संसद में नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की 4 शिलाएं शंकराचार्य को सौंपी गई, यही शिलाएं लेकर अयोध्या पहुंचने के लिए हिंदुओं से आह्वान किया गया है.


कुंभ में शंकराचार्य की धर्म संसद तीन दिन चली और कल आखिरी दिन राम मंदिर पर प्रस्ताव पास हुआ. 10 फरवरी के बाद साधु संत अयोध्या के लिए कूच करेंगे. इतना ही नहीं धर्म संसद में यह भी कहा गया है कि 21 फरवरी से राम मंदिर बनने तक सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जाएगा और अगर इस बीच कोई रोकता है तो साधु संत गोली खाने के लिए भी तैयार हैं.


महंत धर्मदास का आरोप- शंकराचार्य को कांग्रेस का महात्मा बताया
प्रयागराज कुंभ में तीन दिन चली धर्म संसद पर विवाद भी शुरू हो गया है. राम जन्मभूमि विवाद में पक्षकार महंत धर्मदास ने शकंराचार्य को कांग्रेस का महात्मा बताया है. धर्मदास ने शंकराचार्य पर बीजेपी और वीएचपी को बदनाम करने का आरोप लगाया.


सरकार की अर्जी का निर्मोही अखाड़े और रामलला ने किया विरोध
चुनाव से पहले मोदी सरकार ने राम मंदिर पर बड़ा दांव खेला. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है कि अयोध्या में विवादित जमीन के आसपास की गैर-विवादित जमीन उसके मालिकों को लौटा दी जाए. इस अर्जी के पीछे मंशा ये दिख रही है कि अयोध्या में उस जमीन पर निर्माण शुरू हो सके जिस पर विवाद नहीं है. सरकार की इस अर्जी पर निर्मोही अखाड़ा और रामलला के पक्षकार महंत धर्मदास के कान खड़े हो गए हैं.निर्मोही अखाड़े ने सरकार से उसकी मंशा पूछी है, वरना कोर्ट जाने की धमकी दी है.


निर्मोही अखाड़े और रामलला के विरोध की वजह राम मंदिर आंदोलन से बिल्कुल अलग है. निर्मोही अखाड़े और धर्मदास को आशंका है कि राम मंदिर बनने की नौबत आई तो विश्व हिंदू परिषद को मंदिर बनाने का जिम्मा मिल सकता है. निर्मोही अखाड़े का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर आंदोलन के लिए जमा पैसे का घोटाला किया है, घोटाले की रकम 1400 करोड़ तक हो सकती है.


क्या है अयोध्या विवाद?
अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है. अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी.


90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन तीन हिस्सों में बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला.


राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. जमीन बांटने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.


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