नई दिल्ली: राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. संत समाज से लेकर सहयोगी शिवसेना ने पीएम के बयान से नाराज है. अब विश्व हिंदू परिषद ने भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार अनंत काल तक नहीं कर सकते. हमने पीएम से मिलने का समय मांगा है. वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आशोक कुमार ने कहा कि हम राम मंदिर पर पीएम मोदी के बयान से सहमत नहीं हैं. हमारे पास पीएम मोदी पर दबाव बनाने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे तो यह इंतजार बहुत लंबा हो जाएगा. सरकार को कानून बनाकर अभी मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त करे. पीएम मोदी ने कल इंटरव्यू में कहा था कि कानून प्रक्रिया के बाद भी राम मंदिर के लिए अध्यादेश पर विचार होगा.


वीेएचपी ने क्या कहा?
आलोक कुमार ने कहा, ''हमने प्रधानमंत्री का राम जन्मभूमि संबंधी बयान देखा है. राम जन्मभूमि का मामला पिछले 69 सालों से कोर्ट में चल रहा है. इसकी अपील सुप्रीम कोर्ट 2011 के लंबित है. यह बहुत लंबा समय है. मामला सुपु्रीम कोर्ट 29 अक्टूबर को आया था, तब बेंच का गठन नहीं हुआ था. मामला चीफ जस्टिस की बेंच में आया. सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई की अपील की गई जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला हमारी प्राथमिकता का नहीं है. अब इस पर चार जनवरी को सुनवाई होनी है, लेकिन बेंच का गठन नहीं हुआ है.''


उनहोंने कहा, ''मामला एक बार फिर चीफ जस्टिस की बेंच में है. सारे मामले को देखकर हमें लग रहा है कि सुनवाई कोसों दूर है. हमारा स्पष्ट मत है कि हिंदू समाज अनंत काल तक न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा नहीं कर सकता. हमारी मांग है कि संसद अध्यादेश के जरिए मंदिर निर्माण का रास्ता निकाले. इस मामले में आगे क्या होगा इसका फैसला 31 जनवरी को प्रयागराज में धर्मसंसद में संतो का विचार जानने के बाद तय होगा.''


शिवसेना ने राम मंदिर पर क्या कहा?
शिवसेना बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए हैं. शिवसेना का कहना है कि मोदी के लिए भगवान राम कानून से बढ़कर नहीं हैं. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ''सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राम मंदिर तत्काल रूप से देखने के लिए महत्वपूर्ण विषय नहीं है, पीएम मोदी ने अलग क्या कहा ? भूमिका स्पष्ट करने के लिए मोदी का अभिनंदन, राम मंदिर के लिए अध्यादेश नही निकालेंगे, इनका संवैधानिक तरीके का अर्थ ऐसा कि प्रभु श्रीराम कानून से बड़े नहीं हैं.''


प्रधानमंत्री ने राम मंदिर पर क्या कहा?
राम मंदिर पर अध्यादेश के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''राम मंदिर पर हमारी सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी. कानूनी प्रक्रिया के बाद ही राम मंदिर पर फैसला किया जाएगा. राम मंदिर को लेकर जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है तब तक अध्यादेश लाने का विचार नहीं है. कानूनी प्रक्रिया इसलिए धीमी है, क्योंकि वहां कांग्रेस के वकील हैं. जो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में रुकावट पैदा कर रहे हैं.''


उन्होंने कहा, ''हमने बीजेपी के घोषणापत्र में कह रखा है कि राम मंदिर का फैसला संविधान के दायरे में ही होगा. राम मंदिर बीजेपी के लिए भावनात्मक मुद्दा है. कांग्रेस को इस मुद्दे पर रोड़े नहीं अटकाने चाहिए और कानूनी प्रक्रिया को अपनी तरह से आगे बढ़ने देना चाहिए. हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं सेवक जैसी संस्थाओं की तरफ से जल्द राम मंदिर बनवाने की मांग उठी हैं.''