VHP On Gyanvapi Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को वाराणसी जिला कोर्ट को भेज दिया है. अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे. 8 हफ्तों तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था. वहीं ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सियासी प्रतिक्रियाएं भी लगातार सामने आ रही हैं. अब विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष का बयान आया है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. 


विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हूं. हमें विश्वास है कि वो फव्वारा नहीं शिवलिंग है क्योंकि नंदी उनको देख रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि 1991 का एक्ट इस पर लागू नहीं होता है. उन्होंने मथुरा-काशी का जिक्र करते हुए कहा कि मथुरा और काशी के मंदिर, हिंदू समाज को वापिस हो. ये हिंदू समाज की सदियों से आकांक्षा है. 


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की तरफ से चुनौती दी गई थी. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में बताया था कि सर्वे करना 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ऑफ 1991' का उल्लंघन है, जो 15 अगस्त 1947 जैसी धार्मिक स्थलों को यथास्थिति रखने की इजाजत देता है. हिन्दू पक्ष ने कहा कि याचिका को खारिज किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे को लेकर जो चीजें प्रेस में लीक हुई, उसे भी काफी गंभीरता से लिया है और कहा कि इसे रोका जाना चाहिए.


केस वाराणसी जिला कोर्ट में ट्रांसफर 
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में शुक्रवार को कहा कि इस केस की सुनवाई उत्तर प्रदेश में ज्यादा अनुभवी जज की ओर से की जानी चाहिए. इसके साथ ही, इस मामले को वाराणसी के जिला कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई है, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. साथ ही मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी. 


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