नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सबरीमाला मामले को एक बड़ी पीठ के हवाले करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में कहा कि एक अद्वितीय मंदिर की विशेष परंपरा  लिंग-भेद नहीं है. वीएचपी महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि हिन्दू धर्म किसी भी प्रकार के लिंग-भेद में विश्वास नहीं करता. सबरीमाला की परंपरा  किसी भी प्रकार के लिंग भेदभाव से संबंधित मामला नहीं है बल्कि, सही मायने में यह एक अद्वितीय मंदिर की विशेष परंपरा से संबंधित है.


सबरीमाला मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के सुप्रीम कोर्ट के 3: 2 के बहुमत के फैसले पर परांडे ने आशा व्यक्त की, कि बड़ी पीठ यह भी सोचेगी कि क्या किसी न्यायालय को किसी धर्म के अन्तरंग मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं.


विश्व हिंदू परिषद महासचिव ने यह भी कहा कि भगवान अय्यप्पा के कई मंदिरों में से, केवल एक सबरीमाला में ही, इसकी विशेष प्रकृति और परंपराओं के कारण, इस प्रकार का सीमित (10  से 50 वर्ष आयु वर्ग) प्रतिबंध है. असंख्य महिला श्रद्धालुओं को मंदिर की परंपरा में विश्वास है और इसके समर्थन में भारी संख्या में उन्होंने प्रदर्शन भी किया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि न्यायालय हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों और परंपराओं का सम्मान करते हुए ही अपना अंतिम निर्णय सुनाएगा.


Supreme Court ने Sabarimala केस सात जजों की बड़ी बेंच को भेजा, फिलहाल पिछला फैसला बना रहेगा