Swasth Sabal Bharat Abhiyan: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने स्वस्थ सबल भारत अभियान (Swasth Sabal Bharat Abhiyan) को समर्थन दिया है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार (Government of India) के अधिकारियों से बातचीत करूंगा कि इसके लिए सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सहयोग से सशक्त एवं व्यवहारिक ढांचे के निर्माण को सुनिश्चित करें.


उन्होंने आगे कहा कि अंगों के ट्रांसप्लांटेशन (Organ Transplant) की सुविधाएं देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित हैं. नई दिल्ली के जनपथ रोड पर स्थित डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शरीर-अंग दान पर राष्ट्रीय अभियान स्वस्थ सबल भारत की घोषणा की. 


क्या कहा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने? 


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि स्वस्थ सबल भारत के प्रयोजन को पूरा करने के लिए आपसी तालमेल वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है. देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां कोई आई बैंक नहीं है, तथा बोन एवं स्किन बैंक ढूंढ पाना तो दुर्लभ ही हो जाता है. अंगों की प्राप्ति एवं ट्रांसप्लांटेशन की सुविधाएं देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस संदर्भ में मैं भारत सरकार के अधिकारियों से बातचीत करूंगा कि सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्यसेवा प्रणाली के सहयोग से सशक्त एवं व्यवहारिक ढांचे के निर्माण को सुनिश्चित करें.


शरीर अंग दान अभियान के बारे में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि देश के हर राज्य में प्रशिक्षित सर्जनों द्वारा सफल अंग प्रत्यारोपण के लिए संस्थानों की स्थापना करने की तत्काल आवश्यकता है. हम इस दिशा में प्रभावी बुनियादी ढांचा के निर्माण के लिए प्रयास करेंगे. इसके अलावा, मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि हमें लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस पर ही उनसे अंग दान की सहमति लेनी चाहिए. इस तरह अगर किसी भी व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना में होती है या किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है, तो ड्राइविंग लाइसेंस में दी गई सहमति के आधार पर उनके अंगों को दान के लिए संरक्षित रखा जा सकता है.


दाधिचि देह दान समिति ने बढ़ाई जागरुकता


सुशील मोदी ने आगे कहा कि दाधिची के अनुसार शरीर-अंग दान में कई कानूनी अड़चनें हैं, मैं आश्वासन देता हूं कि हम इन बाधाओं को दूर करने के लिए यथासंभव हर प्रयास करेंगे. वहीं दाधिची देह दान समिति के पेट्रन आलोक कुमार ने कहा 1997 में गठित दाधिची देह दान समिति ने अंग दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मशाल वाहक की भूमिका निभाई है. लोगों को अंगदान के बारे में जागरुक बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है, संस्था लोगों को बताती है कि किस तरह मृतक/ जीवित दानदाता द्वारा दान किए गए अंग एक ज़रूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन दे सकते हैं. अब तक 17 हज़ार से अधिक दानदाताओं ने अंग दान के लिए अपनी सहमति दी है. 


सरकार से किया ये आह्वान


पिछले 25 सालों के दौरान दाधिची ने 353 शरीर के अंगदान करवाए. 870 आंखों के जोड़ों के दान, 6 अंग दान, दो अस्थि दान और तीन त्वचा दान के साथ उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. आलोक कुमार आगे कहते हैं कि हमने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि शरीर अंग दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल एक पखवाड़े की घोषणा की जाए. इस आवश्यकता की अनदेखी नहीं की जा सकती. प्रस्तावित पखवाड़े के दौरान, इस अभियान के सभी हितधारकों  जैसे सरकार, एनजीओ, मीडिया को अंग-दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और लोगों को भी पूरे समर्पण के साथ स्वस्थ एवं सशक्त भारत के मिशन में योगदान देना चाहिए. 


आम लोगों में जागरुकता की कमी से हम पीछे


सुशील मोदी (Sushil Modi) ने कहा कि अंगदान की बात करें तो भारत सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों में शामिल होने के बावजूद भी अन्य विकासशील देशों की तुलना में इस दृष्टि से बहुत पीछे है. इसका मुख्य कारण हैं- आम लोगों में जागरुकता की कमी, अंगदान (Organ Donate) के बारे में फैली गलत अवधारणाएं और जटिल कानूनी संरचना. हमें विश्वास है कि इस अभियान के माध्यम से हम ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शरीर-अंग-नेत्र दान के बारे में जागरुक और प्रोत्साहित करने के अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे. बता दें कि स्वस्थ सबल भारत अभियान दाधिची देह दान समिति और देश के 22 राज्यों से 46 एनजीओ (NGO) की पहल है. इस कार्यक्रम में पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन, संसद सदस्य सुशील मोदी, परमार्थ निकेतन-ऋषिकेश से रेव. साध्वी भगवती सरस्वती और दाधिची देह दान समिति के पेट्रन आलोक कुमार शामिल रहे. 


ये भी पढ़ें: 


Cyrus Mistry Death: सड़क हादसे में टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का निधन, तेज़ रफ्तार मर्सिडीज कार के परखच्चे उड़े


Cyrus Mistry: विवादों से रहा साइरस मिस्त्री का नाता ! जब रतन टाटा के साथ मतभेद से लगा था कॉरपोरेट जगत को झटका