Jagdeep Dhankhar on Judiciary : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि संसद के बनाए कानून को किसी और संस्था द्वारा अमान्य किया जाना प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को निरस्त किए जाने पर कहा कि ‘दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ है.’ धनखड़ राजस्थान विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. 


संवैधानिक संस्थाओं के अपनी सीमाओं में रहकर संचालन करने की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार क्या किसी और संस्था पर निर्भर कर सकता है. क्या भारत के संविधान में कोई नया ‘थियेटर’ (संस्था) है जो कहेगा कि संसद ने जो कानून बनाया उस पर हमारी मुहर लगेगी तभी कानून होगा.


सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा महान्यायवादी को संवैधानिक प्राधिकारों को कॉलेजियम प्रणाली पर बयान देने से बचने का संदेश देने को कहे जाने का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने इस बिंदु पर महान्यायवादी को सुनने से इनकार कर दिया. मैं विधायिका की शक्तियों को कमजोर करने में पक्षकार नहीं बन सकता.’’


न्यायपालिका की आलोचना की थी


उन्होंने कहा, ‘‘आज न्यायिक मंचों से यह एकतरफा व सार्वजनिक तेवर अच्छा नहीं है. इन संस्थानों को पता होना चाहिए कि उन्हें कैसे व्यवहार करना है.’’ उल्लेखनीय है कि जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आठ दिसंबर को महान्यायवादी आर वेंकटरमणी से सरकार को इस बारे में सलाह देने के लिए कहा था. इससे एक दिन पहले राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने पहले भाषण में धनखड़ ने एनजेएसी अधिनियम निरस्त करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की थी. 


ये लोग थे मौजूद


तब उन्होंने कहा था, ‘‘लोकतांत्रिक इतिहास में इस तरह की घटना का कोई उदाहरण नहीं है, जहां एक विधिवत वैध संवैधानिक विधि को न्यायिक रूप से पहले की स्थिति में लाया गया हो. यह संसदीय संप्रभुता के गंभीर समझौते और लोगों के जनादेश की अवहेलना का एक ज्वलंत उदाहरण है, जिनके संरक्षक यह सदन और लोकसभा हैं.’’उल्लेखनीय है कि सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में धनखड़ व बिरला के साथ-साथ राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी भी मौजूद थे.


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