Jagdeep Dhankhar: 'मानव पृथ्वी को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता', उपराष्ट्रपति ने वन अधिकारियों को बताया 'प्रकृति के दूत'
Jagdeep Dhankhar: जगदीप धनखड़ ने वन अधिकारियों से प्रकृति की सेवा करने का अनुरोध किया. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी आह्वान किया.
Jagdeep Dhankhar: भारत के उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने शनिवार (24 दिसंबर) को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की व्यापक चुनौती से निपटने के लिए सभी देशों से सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया. उन्होंने नेचुरल रिसोर्सेस के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताते हुए कहा कि मानव पृथ्वी को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता.
धनखड़ यहां भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 2021 बैच के परिवीक्षा अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे. वन सेवा के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आपका हमारे आदिवासी समुदायों के साथ संपर्क रहेगा और आप उनकी प्राचीन संस्कृति का सीधा अनुभव प्राप्त करेंगे. धनखड़ ने कहा कि आपके पास उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने का एक अच्छा अवसर होगा.
लोगों के लालच के कारण नेचुरल चीजें होती जा रही हैं कम
उपराष्ट्रपति सचिवालय से जारी एक बयान के अनुसार, धनखड़ ने वनों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि वे भारतीय इथोस, कॉन्शियसनेस और संस्कृति के इंटीग्रल एवं प्रमुख अंग रहे हैं. यह उल्लेख करते हुए कि भारत फॉरेस्ट वेल्थ के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में से एक है, उन्होंने अधिकारियों से प्रकृति की सेवा करने का अनुरोध किया.
वन अधिकारियों को बताया 'प्रकृति के दूत'
धनखड़ ने वन अधिकारियों को 'प्रकृति का दूत' करार दिया. एनवायरनमेंटल डिग्रेडेशन का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह चिंताजनक है कि लोगों के लालच के कारण गांव की पब्लिक लेंड और नेचुरल वाटर स्टोरेज जैसी सुविधाएं कम होती जा रही हैं. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए व्यापक पहल करने का आह्वान किया.
ये भी पढ़ें-