Chaudhary Charan Singh Stories: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने से काफी खुश हैं. उन्होंने चौधरी चरण सिंह को लेकर कहा कि उनकी सोच बहुत बड़ी थी, उनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा था. बेईमानी के बारे में कोई उनके सामने सोच नहीं सकता था. उनका पूरा जीवन किसान और गांव को समर्पित था.


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चौधरी चरण सिंह की सादगी का किस्सा सुनाते हुए कहा, "मुझे याद है वो पल जब मैं उनसे मिला था. यह 1977 की बात है. चौधरी साहब राजस्थान के श्रीगंगानगर में आए हुए थे. मुझे जैसे ही इसका पता चला तो मैंने सोचा की इस महान शख्स का आशीर्वाद लेना चाहिए. मैं जयपुर से श्रीगंगानगर गया. वह जहां ठहरे थे जब पहुंचा तो देखकर मैं हैरान हो गया. वह जमीन पर बैठकर भोजन कर रहे थे. सभी जानते थे कि चौधरी साहब के आगे कोई ऐसा आचरण हो गया जो सात्विक नहीं है, सर्वोत्तम नहीं है तो वह खिंचाई करते थे."


'किसानों को राजनीति की रीढ़ की हड्डी भी मानते थे'


न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने बताया कि "चौधरी साहब किसान को हमेशा एक ही बात कहते थे कि अर्थव्यवस्था में योगदान देने के अलावा किसान भारतीय राजनीति की रीढ़ की हड्डी भी है. आज आप किसान वर्ग में जाइए. किसान के बच्चे आज नौकरी में कितने आगे हैं.. गांव के अंदर कितनी काया बदल चुकी है. चौधरी चरण सिंह का सपना संचार हो रहा है. एक तरह से पूरी पृष्टभूमि मुझे दिख रही है."


किसानों के प्रति अलग ही लगाव था


उन्होंने बताया कि चौधरी साहब ईमानदारी के प्रतीक, किसान के पीछे समर्पित, किसानों के सर्वमानीय नेता रहे, उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी. उनके दिल में किसानों के प्रति अलग ही लगाव था, राजनीति क्षेत्र में स्पष्टवादिता और विचारों में एकाग्रता उनकी बहुत बड़ी पहचान थी. उन्होंने इमरजेंसी का डटकर मुकाबला किया. अपने सिद्धांतों से वह कभी नहीं डिगे. उनकी सादगी, उनकी ईमानदारी, गरीब और किसान के प्रति उनका समर्थन ये उनकी पहचान है. चौधरी चरण सिंह के नजदीक कोई भी वो व्यक्ति नहीं आ सकता था, जिनमें ये गुण न हों. जब ऐसे व्यक्तित्व को आज के दिन सम्मानित किया जाता है तो मन में ये बड़ा भाव आता है कि अन्नदाता का सम्मान हुआ है.


ये भी पढ़ें


Chhagan Bhujbal: 'मुझे मारने के लिए दिया गया 50 लाख का ठेका', अजित गुट के नेता को मिली धमकी, छगन भुजबल बोले- 'जबसे मैं...'