Jagdeep Dhankhar Speech: ‘सावधान रहें! कुछ लोगों की ओर से...’, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बिना नाम लिए किस पर किया हमला?
Jagdeep Dhankhar News: उपराष्ट्रपति ने शनिवार को कहा कि कुछ लोगों की ओर से यह कहानी फैलाने की कोशिश हो रही है कि हमारे पड़ोस में जो हुआ, वह हमारे भारत में भी होने वाला है, यह बेहद चिंताजनक है.
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Vice President Jagdeep Dhankhar Latest Speech: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र को उन राष्ट्र-विरोधी ताकतों के प्रयासों के प्रति आगाह किया, जो यह कहानी फैलाने की कोशिश कर रही हैं कि भारत में भी बांग्लादेश जैसी घटना होगी. बांग्लादेश में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह के कारण प्रधानमंत्री को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था और वह वहां से भागकर भारत आ गईं हैं.
जगदीप धनखड़ ने किसी का नाम लिए बिना इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कैसे कुछ लोग भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच समानताएं ढूंढने में जल्दबाजी करते हैं. उन्होंने ऐसे लोगों को गुमराह करने वाला करार दिया.
ऐसे बयानों पर जताई चिंता
शनिवार को जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में उन्होंने कहा, "सावधान रहें!! कुछ लोगों की ओर से यह कहानी फैलाने की कोशिश हो रही है कि हमारे पड़ोस में जो हुआ, वह हमारे भारत में भी होने वाला है, यह बेहद चिंताजनक है." उपराष्ट्रपति ने कहा, "इस देश का एक नागरिक संसद सदस्य रह चुका है और दूसरा विदेश सेवा का पर्याप्त अनुभव कर चुका है, तो ऐसे लोगों को यह कहने में देर कैसे नहीं लगती कि पड़ोस में जो हुआ, वह भारत में भी होगा."
क्या कहा था मणिशंकर अय्यर और खुर्शीद ने
वहीं, धनखड़ की टिप्पणी को कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर की सीधी प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने भारत और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थितियों के बीच तुलना की थी. खुर्शीद ने कहा था कि भारत में सामान्य स्थिति के बावजूद, बांग्लादेश जैसी घटनाएं यहां भी हो सकती हैं. दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने भी इसी तरह की तुलना की थी.
राष्ट्रीय हित के महत्व पर दिया जोर
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय हित के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि इसे मापा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा, "यह सर्वोच्च प्राथमिकता है, एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
इमरजेंसी को बताया आजादी के बाद सबसे काला दौर
उप-राष्ट्रपति ने अपने भाषण में जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने इसे स्वतंत्रता के बाद से सबसे काला दौर बताया. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हे कहा कि तब न्यायपालिका के उच्चतम स्तर, जो आमतौर पर बुनियादी अधिकारों का दुर्जेय गढ़ होता है, ने "निर्लज्ज तानाशाही शासन" के आगे घुटने टेक दिए थे.
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