उपराष्ट्रपति ने की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात, मॉनसून सत्र में विपक्षी सांसदों के व्यवहार पर जताई चिंता
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुलाकात कर संसद के मॉनसून सत्र को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने सांसदों के खराब व्यवहार को देखते हुए कार्यवाही की मांग की है.
नई दिल्लीः 19 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मॉनसून सत्र विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया. जिसके कारण मॉनसून सत्र को अपने पूर्व निर्धारित समय से दो दिन पहले ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. वहीं मानसून सत्र में कुछ सांसदों के खराब व्यवहार को लेकर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुलाकात कर चिंता जताई है.
मॉनसून सत्र के घटनाक्रम पर की समीक्षा
एम वेंकैया नायडू और ओम बिरला ने मुलाकात के दौरान मॉनसून सत्र में हुए दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की समीक्षा की. दरअसल संसद में विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा में 96 घंटों में से 21 घंटे राज्यसभा में 98 घंटों में महज 28 घंटे ही कामकाज हो पाया. मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दल पेगासस जासूसी मामले और तीन कृषि कानूनों समंत कई मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे.
उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडु ने आज लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी से भेंट की और संसद के हाल के सत्र के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। pic.twitter.com/CNeEEc6KGo
— Vice President of India (@VPSecretariat) August 12, 2021
दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर जताई चिंता
उपराष्ट्रपति के सचिवालय की ओर से ट्वीट कर जानकारी दी गई है कि उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडु ने गुरुवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला जी से मुलाकात की और संसद के हाल के सत्र के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने कुछ सांसदों द्वारा कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने को ले कर भी गहरी चिंता जताई। उनका विचार था कि इस प्रकार के अशोभनीय व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए तथा समुचित कार्यवाही की जानी चाहिए।
— Vice President of India (@VPSecretariat) August 12, 2021
उचित कार्यवाही की मांग
सचिवालय की ओर से किए गए एक और ट्वीट में जानकारी दी गई है कि ओम बिरला ने कुछ सांसदों द्वारा संसद की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने को ले कर भी गहरी चिंता जताई. उनका मानना था कि सांसदों के इस प्रकार के खराब व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए.