उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की सलाह- देश के तीनों स्तंभ साथ मिलकर काम करें, एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप ना करें
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समझना होगा कि कोई स्तंभ किसी के ऊपर नहीं है. तीनों को साथ मिलकर कार्य करना होगा. देश में सबसे सर्वोपरि संविधान है.
केवड़िया: देश के लोकतंत्र के लिए बेहतर यही होगा कि तीनों स्तंभ यानी न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका एक साथ मिलकर काम करें और एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप ना करें. ये बात देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही. वेंकैया नायडू ने कहा की देश को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि तीनों स्तंभ अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए काम करें और एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप ना करें.
उपराष्ट्रपति ने गुजरात के केवड़िया में चल रहे अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में संबोधन के दौरान कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान कई ऐसे मौके आए हैं जब तीनों स्तंभों में से किसी न किसी ने किसी दूसरे स्थान के कार्य में हस्तक्षेप किया है. लोकतंत्र के लिए यह आदर्श हालात नहीं है. देश या राज्य सभा तभी आगे बढ़ेगा जब तीनों स्तम्भ साथ मिलकर काम करेंगे और कोई किसी के काम में हस्तक्षेप नहीं करेगा.
वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान कुछ अदालती फैसले भी ऐसे आए हैं जिससे यह लगा है कि अदालत ने विधायिका के काम में हस्तक्षेप किया है. यहां यह समझना होगा कि कोई स्तंभ किसी के ऊपर नहीं है तीनों स्तंभों को साथ मिलकर ही काम करना होगा और वह भी पूरी जिम्मेदारी के साथ करना होगा.
उपराष्ट्रपति ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए हाल ही में अदालतों के कुछ इस फैसले को लेकर कहा कि इन फैसलों को देख कर ऐसा लगा जैसे न्यायपालिका विधायिका के काम में हस्तक्षेप कर रही है. उदाहरण के तौर पर उन्होंने दिवाली में पटाखे जलाने पर रोक लगाने, दिल्ली एनसीआर में पुराने वाहनों के चलने पर रोक लगाने, ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी कानून पर सवाल खड़ा करने जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि हम को समझना होगा कि विधायिका का काम कानून बनाने का है. न्यायपालिका को भी समझना होगा कि अगर संसद ने कोई कानून बनाया है तो उसके पीछे की मूल भावना क्या है क्योंकि विधायिका के लोगों को जनता के सामने जाकर जवाब भी देना होता है और उनकी जवाबदेही देश की जनता के प्रति भी होती है.
वेंकैया नायडू ने यह बात संविधान दिवस के मौके पर गुजरात के केवड़िया में आयोजित किए गए कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने ये भी कहा कि देश में संविधान सर्वोपरि है और लोकतंत्र में तीनों स्तंभों को संविधान का पालन करते हुए ही अपने कर्तव्य का निर्वहन करना जरूरी है. लेकिन इस सब के बीच यह भी देखना जरूरी है कि कहीं एक दूसरे के कार्य में अवांछित हस्तक्षेप ना करें.
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