नई दिल्ली : भारतीय सेना ने लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शहादत को याद किया गया है. ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा गया है कि सेना और कश्मीर दोनों को उमर पर गर्व है. उमर फैयाज का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें बुरहान वानी का भी जिक्र है.


ये कश्मीर को तय करना है कि यहां बुरहान वानी रहेगा या उमर फैयाज


इस वीडियो के जरिए कहा गया है कि 'मुझे न हिंदुस्तानी ने मारा, न पाकिस्तानी ने, मुझे कश्मीरी ने मारा. ये कश्मीर को तय करना है कि यहां बुरहान वानी रहेगा या उमर फैयाज.' इससे पहले 10 मई को शोपियां में शहीद हुए लेफ्टिनेंट उमर के कातिल आतंकियों का वीडियो सामने आया था. हिज्बुल के तीन आतंकियों के पोस्टर जारी हुए हैं.


अंतिम संस्कार में अज्ञात लोगों ने फायरिंग की थी


गौरतलब है कि फैयाज के अंतिम संस्कार में अज्ञात लोगों ने फायरिंग की थी जिसकी वजह से भगदड़ मची थी. जानकारी के मुताबिक, तीन आतंकी उसे अपने साथ ले गए थे. अपहरण से पहले कम से कम दो संदिग्ध लोगों ने शादी समारोह में लेफ्टिनेंट फैयाज की पहचान की थी. उसके बाद शादी समारोह से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर एक सेब के बागान में उनकी हत्या कर दी गई.


बागान में ले जाने के बाद उसे भड़काने की कोशिश हुई होगी


माना जा रहा है कि बागान में ले जाने के बाद उसे भड़काने की कोशिश हुई होगी. लेकिन, मना करने पर उसकी गोली म़ारकर हत्या कर दी गई. सूत्रों के मुताबिक, लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या के पीछे हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्थानीय आतंकवादी थे. हालांकि, जिस जगह पर उसकी हत्या की गई वो लश्कर ए तैयबा का इलाका माना जाता रहा है.


पोस्टिंग से पहले 15 दिन के ओरियंटेशन कोर्स के लिए आए थे


लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की लाश शोपियां के हरमैन चौक पर मिली. शरीर पर गोली के निशान हैं. वे कुलगाम के रहने वाले थे. वे सेना की राजपूताना राईफल्स (राजरिफ) रेजीमेंट से ताल्लुक रखते थे. राजधानी दिल्ली के कैंट इलाके में राजरिफ का रेजीमेंटल सेंटर है. यहीं पर लेफ्टिनेंट अपनी पहली पोस्टिंग से पहले 15 दिन के ओरियंटेशन कोर्स के लिए आए थे.


फैयाज 31 दिसम्बर से 14 जनवरी तक राजरिफ रेजीमेंटल सेंटर में रहे थे


लेफ्टिनेंट फैयाज 31 दिसम्बर से 14 जनवरी तक राजरिफ रेजीमेंटल सेंटर में रहे थे. उसके बाद ही वे एलओसी पर पाकिस्तानी सीमा से सटे अखनूर इलाके में पोस्टिंग के लिए गए थे. वे 'टू राजरिफ' (2-राजरिफ) के अधिकारी थे. रेजीमेंटल सेंटर में अधिकारियों को इसलिए भेजा जाता है ताकि अपने साथ काम करने वाले जवानों के साथ वे 'बोंडिंग' बिठा सके.
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