भारत और वियतनाम के बीच मंगलवार शाम को हुई साझा बातचीत में चीन की बढ़ती क्षेत्रीय दादागिरी एक अहम मुद्दा थी. दोनों देशों ने संयुक्त आयोग की 17वीं बैठक के दौरान आपसी रणनीतिक साझेदारी को अधिक व्यापक और गहरा बनाने का फैसला किया है. इस कड़ी में भारत नाभिकीय उर्जा के विकास में भी वियतनाम की मदद करेगा.


भारत और वियतनाम ने साझा बयान जारी कर दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा व आवाजाही की स्वतंत्रता बनाए रखने और सभी विवादों को यूएन के अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के आधार पर सुलझाने पर जोर दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक वियतनाम ने भारत के हिंद महासागर प्रयास यानी आईपीआईओ में भी सहभागिता बढ़ाने का फैसला किया है.


विदेश मंत्री एस जय शंकर और वियतनाम के उप- प्रधानमंत्री फाम बिन मिन्ह के बीच हुई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अपने रणनितक संबंधों को नाभिकीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री प्रौद्योगिकी, नई तकनीक आदि क्षेत्रों में बढ़ाने का फैसला किया है.


विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच मजबूत वैचारिक समानता के चलते इस बात को लेकर सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत बहुपक्षीय संस्थाओं में सहयोग करेंगे. महत्वपूर्ण है कि भारत और वियतनाम दोनों ही 2021 में एक साथ अस्थाई सदस्य के तौर पर सुरक्षा परिषद में मौजूद होंगे. भारत ने आसियान की अगुवाई कर रहे वियतनाम के साथ क्षेत्रीय संदर्भ में अधिक करीबी सहयोग की मंशा जताई है.


सूत्रों के मुताबिक वार्ता के दौरान भारत ने वियतनाम से 500 मिलियन डॉलर की सहयता राशि को रक्षा परियोजनाओं में इस्तेमाल किए जाने के आग्रह को भी दोहराया. महत्वपूर्ण है कि भारत इस सहायता राशि के जरिए जहां वियतनाम की सैन्य मजबूती में सहायता करना चाहता है वहीं अपने रक्षा उत्पादों के लिए नया बाजार भी तलाश रहा है.


बातचीत के दौरान दोनो पक्षों ने भारत और वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने और नौसैनिक स्तर पर संवाद बढ़ाए जाने पर भी संतोष जताया.