लंदन: विवादित शराब कारोबारी विजय माल्या प्रत्यर्पण से जुड़े अपने मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में आज फिर ब्रिटेन की एक अदालत में पेश हुआ. माल्या करीब 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में भारत में वांटेड है. पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वॉरंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह 650,000 पाउंड की जमानत पर है. माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर कहा, ‘‘अदालत में एक और दिन.’’
अगले महीने फैसला आने की संभावना
वेस्टमिंस्टर अदालत की मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बथनॉट भारत सरकार की ओर से दलीलें पेश कर रही क्राउन अभियोजन सेवा (सीपीएस) से मांगी गई कुछ अतिरिक्त सामग्री पर विचार करने वाली हैं. उन्होंने इस मामले में फैसले की समयसीमा भी तय कर दी है. फैसला अगले महीने आने की संभावना है. बीते 16 मार्च को मामले की आखिरी सुनवाई में जज ने कहा था कि यह पूरी तरह साफ है कि माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने वाले भारतीय बैंकों की ओर से नियम तोड़े गए थे. उन्होंने कहा, ‘‘इस बात के साफ संकेत हैं कि बैंक (कुछ कर्ज मंजूर करने के मामले में) अपने ही दिशानिर्देशों के खिलाफ गए.’’
जज ने बैंक अधिकारियों को आमंत्रित किया कि वे इस मामले में शामिल कुछ बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस को स्पष्ट करें क्योंकि वह माल्या के खिलाफ साजिश के आरोपों से जुड़े हैं. आज की सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से हाई कोर्ट में की गई अपील नकार दी गई थी.
अगर भारत के पक्ष में फैसला हुआ तो?
माल्या की बचाव टीम ने कई विशेषज्ञ गवाहों से गवाही दिलवाकर दावा किया कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं है और भारत में उन पर निष्पक्ष तरीके से मुकदमा चलाने की संभावना नहीं है. यदि जज भारत सरकार के पक्ष में फैसला देती हैं तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत के लिए दो महीने का वक्त होगा. बहरहाल, दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की ऊंची अदालतों में अपील करने का हक होगा.