लंदन: ब्रिटेन की एक अदालत ने भारतीय अधिकारियों को तीन सप्ताह के भीतर मुंबई के आर्थर रोड जेल की एक कोठरी का वीडियो सौंपने का आज निर्देश दिया, जहां प्रत्यर्पण के बाद विजय माल्या को रखने की उनकी योजना है. साथ ही अदालत ने इस हाई प्रोफाइल प्रत्यर्पण सुनवाई में समापन दलीलें रखने की तारीख 12 सितंबर को निर्धारित कर दी. भारत में धोखाधड़ी के आरोपों में वांछित माल्या लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष उपस्थित हुए. वहां बचाव और अभियोजन दोनों पक्षों ने मुंबई में आर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 पर अपना स्पष्टीकरण रखा.
दलीलों को सुनने के बाद जज एम्मा आरबथनॉट ने भारतीय अधिकारियों से तीन सप्ताह के भीतर आर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 का वीडियो सौंपने को कहा. इसके बाद न्यायाधीश ने समापन दलीलों के लिये अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर को निर्धारित कर दी और माल्या की जमानत तब तक के लिये बढ़ा दी.
इससे पहले, विजय माल्या ने कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धन चुराने के आरोप ‘पूरी तरह गलत’ हैं. उन्होंने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘अंतत: इस बारे में अदालत फैसला करेगी.’’ 62 वर्षीय माल्या ने धोखाधड़ी और तकरीबन 9000 करोड़ रुपये के धन शोधन के आरोपों में प्रत्यर्पण के भारत के प्रयासों को चुनौती दी है. वह पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा हैं.
27 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को बल मिला था जब जज आरबथनॉट ने इस बात की पुष्टि की थी कि भारतीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य सौंपे हैं, वो मामले में स्वीकार्य होंगे.
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सीबीआई ने ब्रिटेन की अदालत को ढेर सारे दस्तावेज सौंपे थे, जिनमें आईडीबीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक बी के बत्रा के खिलाफ साजिश का मामला भी शामिल है. बत्रा का अदालत में मामले में नये ‘खलनायक’ के तौर पर उल्लेख किया गया है.
भारतीय अधिकारियों ने साजिश का जो मामला पेश किया है, उसके अनुसार बत्रा ने कथित तौर पर माल्या से साठगांठ कर अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलायंस को बिना उचित सावधानी बरते कुछ ऋण की मंजूरी दिलाई. अगर न्यायाधीश भारत सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हैं तो अलग प्रत्यर्पण कार्यवाही में ब्रिटेन के गृह मंत्री को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर करना होगा. हालांकि, दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन में ऊपरी अदालतों में अपील दायर करने का मौका होगा.
माल्या के बचाव दल का नेतृत्व बैरिस्टर क्लेयर मांटगोमरी कर रहे हैं. उन्होंने माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों का खंडन किया है और ब्रिटेन के कारा विशेषज्ञ डॉ. एलन मिशेल की तरफ से लिखित सामग्री सौंपी है, जिसमें आर्थर रोड स्थित मुंबई के केंद्रीय कारागार की बैरक संख्या 12 की कुछ तस्वीरों को चुनौती दी गई है. अगर माल्या का ब्रिटेन से प्रत्यर्पण होता है तो माल्या को उसी जेल में रखा जाएगा.
बैरिस्टर मार्क समर्स के नेतृत्व वाली सीपीएस टीम ने अतिरिक्त सामग्री को भारतीय अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई सूचना की ‘आलोचना का प्रयास’ करार दिया है. माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर मुकदमा पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की अदालत में शुरू हुआ था. इसका लक्ष्य माल्या के खिलाफ पहली नजर में धोखाधड़ी का मामला बनाना है. माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़ने के बाद से ब्रिटेन में बसे हैं.
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