फंस गया माल्या: जानें ब्रिटिश कानून के मुताबिक आगे की प्रक्रिया, कितने दिन में आ सकता है भारत
ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक माल्या को सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के इस फैसले के खिलाफ अपील के लिए 14 दिनों की मोहलत मिली है.
नई दिल्ली: लंदन से भगोड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिशों में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है, लंदन की कोर्ट से माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति के बाद ब्रिटेन सरकार ने भी प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. ब्रिटिश गृह विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया, ''गृह मंत्री ने सभी मामलों पर सावधानी से गौर करने के बाद 3 फरवरी को विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के आदेश पर दस्तखत किए.''
फैसले के बाद माल्या बोला- अपील करूंगा प्रत्यपर्ण के फैसले के बाद विजय माल्या ने ट्वीट किया, ''वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा 10 दिसंबर 2018 को निर्णय दिए जाने के बाद, मैंने अपील करने की मंशा जताई थी, मैं गृह मंत्री के फैसले से पहले अपील की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका लेकिन अब मैं अपील की प्रक्रिया शुरू करूंगा.''
अब आगे क्या होगा? ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक माल्या को सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के इस फैसले के खिलाफ अपील के लिए 14 दिनों की मोहलत मिली है. हालांकि ब्रिटिश कानून के तहत, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील से पहले माल्या को उच्च न्यायालय की अनुमति लेनी होगी. माल्या को अपील के लिए 14 दिनों के भीतर न्यायलय में आवेदन करना होगा.
अपील नहीं करता तो 28 दिनों में भारत आएगा माल्या आवेदन स्वीकार होने पर उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई की तारीख तय करेगा. ऐसे मामलों में फैसलों की पिछली परंपरा देखें तो इस बात की संभावना कम ही है कि माल्या को उच्च न्यायालय से कोई राहत मिले. यानि फैसले के माल्या के हक में जाने की उम्मीद कम है क्योंकि भारत में मानवाधिकार हनन जैसी उसकी दलीलें निचली अदालत में ही खारिज हो चुकी हैं. वहीं यदि माल्या अपील नहीं करता है तो 28 दिनों में उसे भारत को सौंप दिया जाएगा.
माल्या के सुप्रीम कोर्ट तक जाने का रास्ता बेहद मुश्किल तकनीकी तौर पर तो ब्रिटिश कानून प्रक्रिया में प्रत्यर्पण मामलों को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील का भी रास्ता है. लेकिन, इसकी इजाजत तभी संभव है जब उच्च न्यायालय किसी कानूनी पहलू पर उच्च स्तरीय कानूनी समीक्षा के लिए अग्रेषित करे. इसके लिए उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी भी जरूरी है. लिहाजा भारत इस बात की संभावना बेहद धुंधली है कि माल्या को अपने प्रत्यर्पण का मामला ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत तक ले जानी की इजाजत मिले.
2018 में घिरने लगे थे मुश्किल के बादल भारत से भागने के बाद मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहे विजय माल्या की दाल दिसंबर 2018 में वेस्टमिनिस्टर कोर्ट में हुई अंतिम सुनवाई में ही पतली हो गई थी. कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण पर भारतीय अपील के पक्ष में फैसला देते हुए मामले को निर्णय के लिए सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के पास भेज दिया था.
वेस्टमिनिस्टर कोर्ट की जज एमा आरबथनॉट ने न केवल माल्या के खिलाफ बैंकों से धोखाधड़ी के मामले को स्वीकार किया था बल्कि यह भी कहा था कि यदि उसे को भारत को सौंपा जाता है तो मानवाधिकारों का कोई हनन नहीं होगा.
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