भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत माल्या के केस की अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी
माल्या के परिवार के एक सदस्य सहित कम से कम पांच लोगों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा नये कानून के तहत उद्योगपति को आर्थिक भगोड़ा घोषित कराने के संबंध में मुकदमे के दस्तावेज अदालत से मांगे हैं.
नई दिल्लीः विजय माल्या को आर्थिक भगोड़ा अपराधी घोषित करने को लेकर सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख तीन सितंबर को तय की है. दरअसल 9000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण के कथित धोखाधड़ी के मामले में कुछ और लोगों ने खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया है, जिसके मद्देनजर अदालत ने सुनवाई आगे बढ़ा दी है. भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत इस अदालत की ये पहली सुनवाई थी.
अधिकारियों ने बताया कि माल्या के परिवार के एक सदस्य सहित कम से कम पांच लोगों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा नये कानून के तहत उद्योगपति को आर्थिक भगोड़ा घोषित कराने के संबंध में मुकदमे के दस्तावेज अदालत से मांगे हैं. इसकी वजह से अदालत ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दी है.
उन्होंने बताया कि विशेष अदालत के न्यायाधीश एम.एस आजमी के आदेश के मुताबिक मुकदमे की अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी. अदालत में आज पेश हुए माल्या के वकील ने कुछ और डॉक्यूमेंट की मांग की है. इसी अदालत ने 30 जून को एक नोटिस जारी कर माल्या को 27 अगस्त को उसके समक्ष पेश होने को कहा था. अदालत ने ईडी के आवेदन पर यह नोटिस जारी किया था.
केन्द्रीय जांच एजेंसी ने 9000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में ताजा कार्रवाई के तौर पर माल्या की 12,500 करोड़ की संपत्ति तुरंत जब्त करने का भी अनुरोध किया है. इससे पहले अदालत ने माल्या के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज कराए गये दो मामलों में गैर-जमानती वारंट जारी किया था.
क्या है भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून इसमें कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने ऐसे अपराध किये हैं जिनमें 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है और वे भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिये भारत आने से इंकार करते हैं.
इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की का प्रावधान किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने का अधिकार नहीं होगा. ऐसे मामलों में विशेष अदालतों द्वारा समयबद्ध तरीके से सुनवाई की जाएगी और उनके आदेशों के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है.