गुजरात में सीएम के नाम पर मुहर, रूपाणी के हाथ एक बार फिर कमान
गुजरात चुनाव में बीजेपी ने 99, कांग्रेस ने 80 सीटों पर कब्जा जमाया था. आज एक निर्दलीय विधायक ने बीजेपी को समर्थन दे दिया, जिससे बीजेपी का आंकड़ा बढ़कर अब 100 हो गया है.
अहमदाबाद: गुजरात में बीजेपी विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग गई है. गुजरात में एक बार फिर विजय रुपाणी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनाएगी. वहीं पिछली सरकार के फॉर्मूले की तरह नितिन पटेल डिप्टी सीएम बनेंगे.
गुजरात चुनाव में बीजेपी ने 99, कांग्रेस ने 80 सीटों पर कब्जा जमाया था. आज एक निर्दलीय विधायक ने बीजेपी को समर्थन दे दिया, जिससे बीजेपी का आंकड़ा बढ़कर अब 100 हो गया है.
रूपाणी को दोबारा चुनने के पीछे बीजेपी की रणनीति क्या? दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे विजय रुपाणी सौराष्ट्र इलाके से आते हैं. राजकोट पश्चिम सीट से उन्होंने कांग्रेस इंद्रनील राजगुरू हो हराया है. रुपाणी के हाथ दोबारा कमान कमान सौंपकर बीजेपी संदेश देना चाहती है कि पिछली सरकार का कामकाज अच्छा था. 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं, जानकारों की माने तो बीजेपी इसी के चलते किसी नए चेहरे को पेश कर रिस्क नहीं लेना चाहती है. विजय रूपाणी को प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दोनों का करीबी माना जाता है.
किसी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती थी पार्टी विजय रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं इसके साथ ही अन्य समुदाय में भी स्वीकार्यता है. बीजेपी अगर किसी पाटीदार नेता को सीएम बनाती तो ओबीसी के नाराज होने की संभावना होती. अगर किसी ओबीसी चेहरे को लाती तो पटेलों की नाराज होने की संभावना होती. इसी को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी ने रक्षात्मक दांव खेलते हुए रूपाणी को कमान सौंपी.
जानकारों की मानें तो रूपाणी को डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. नतीजे भी बीजेपी की अपेक्षा और दावे के मुताबिक नहीं आए. लेकिन बीजेपी कोई बड़ा खतरा नहीं उठाना चाहता थी इसलिए रूपाणी पर भरोसा दिखाया है.
कौन हैं गुजरात के नए मुखिया विजय रूपाणी? म्यांमार में जन्में विजय रूपाणी का परिवार राजकोट में आकर बसा था. जब गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल ने स्वेच्छा के चिट्ठी लिखकर कुर्सी छोड़ी थी उस वक्त पीएम मोदी और अमित शाह ने रूपाणी को चुना था.पहली बार सीएम बनने से पहले रूपाणी गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष थे. बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले रूपाणी राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए भी काम किया है. रूपाणी के नाम का एलान होते ही उनके शहर में जश्न शुरू हो गया.