मुंबई: महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी और कांग्रेस के जो नेता दल बदल कर बीजेपी में शामिल हुए थे अब उनकी घर वापसी शुरू हो रही है. इसका पहला संकेत विजयसिंह मोहिते पाटिल ने दिया. विजयसिंह मोहिते पाटिल एनसीपी के दिग्गज नेता थे लेकिन लोकसभा चुनाव के वक्त उनके बेटे ने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी, जिसके बाद से मोहिते पाटिल बीजेपी के मंच पर उनके उम्मीदवारों का समर्थन करते नजर आए थे.
मौका था बुधवार को पुणे में वसंतदादा पाटिल शुगर इंस्टिट्यूट की सालाना मीटिंग का. इस मौके पर विजयसिंह मोहिते पाटिल, शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार एक साथ मंच पर नजर आए. वे आपस में काफी देर तक चर्चा करते हुए दिखे. मीटिंग के बाद जब पत्रकारों ने विजयसिंह मोहिते से बात की तो उन्होंने कहा कि शरद पवार के साथ उनकी कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई थी. उन्होंने बताया कि वे एनसीपी छोड़कर कभी गए ही नहीं. उनके बेटे रणजीतसिंह मोहिते पाटिल ने बीजेपी ज्वाइन की थी. वे एनसीपी में ही हैं.
पाटिल के बेटे ने की थी बीजेपी ज्वाइन
विजय सिंह मोहिते पाटिल के इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. इसी साल लोकसभा चुनाव के पहले उनके बेटे ने एनसीपी की ओर से टिकट ना मिलने पर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. उसके बाद विजय सिंह मोहिते पाटिल भी बीजेपी के मंच पर नजर आए और बीजेपी के लिए प्रचार किया, हालांकि अब उनके सुर बदल गए हैं.
विजयसिंह मोहिते महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में से एक माने जाते हैं. वे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और सार्वजनिक निर्माण, पर्यटन और ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं. साल 2014 में वे माढ़ा लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए. उनका एनसीपी में वापस आना महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
बीजेपी के कई नेताओं को थी मंत्री पद मिलने की उम्मीद
बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और एनसीपी के कई दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टियों को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इनमें से कई लोगों को बीजेपी ने चुनावी मैदान में भी उतारा लेकिन ऐसे ज्यादातर दलबदलू नेता चुनाव हार गए. जो नेता जीते थे उन्हें उम्मीद थी की बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन शिवसेना के अलग हो जाने से बीजेपी की सरकार खटाई में पड़ गई और उनके मंसूबों पर पानी फिर गया.
विजयसिंह मोहिते की घर वापसी को एक शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्र बताते हैं की कई और भी दलबदलू नेता कांग्रेस और एनसीपी के नेतृत्व के संपर्क में हैं और वापस लौटने की फिराक में हैं. अब सवाल ये है कि क्या ये दोनों पार्टियां अपने बागी नेताओं को वापस लेंगी और क्या उन्हें पार्टी में पहले जैसा सम्मान मिल पाएगा.
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