Vikram Batra Birthday Special: प्यार में गिरफ्तार होने के बाद भी विक्रम बत्रा ने देश पर न्योछावर कर दी जान, जानिए- 'रियल शेरशाह' से जुड़े अनसुने किस्से
Vikram Batra: प्यार में गिरफ्तार होने के बाद भी विक्रम बत्रा ने देश पर आपनी जान न्योछावर कर दी. आज ऐसे जांबाज विक्रम बत्रा का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर जानें 'रियल शेरशाह' से जुड़े कुछ अनसुने किस्से
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नई दिल्लीः पाकिस्तानी घुसपैठिए ने दुस्साहस करते हुए करीब 22 साल पहले करगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमाकर बैठ गया था. जैसे ही भारतीय सेना को इस बात की जानकारी मिली तुरंत उन घुसपैठियों के खिलाफ 'ऑपरेशन विजय' चलाया गया. यह ऑपरेशन 8 मई 1999 से लेकर 26 जुलाई 1999 तक चली थी. इस ऑपरेशन में भारत ने अपने 527 जांबाजों को खोया था और 1300 से ज्यादा घायल हो गए थे. करगिल की इस लड़ाई को नाम दिया गया था 'ऑपरेशन विजय'.
इस युद्ध में भारतीय सेना के जांबाज विक्रम बत्रा भी अपनी युद्ध कौशक का प्रदर्शन करते हुए शहीद हो गए थे. विक्रम बत्रा वो नाम हैं जिन्होंने 7 जुलाई 1999 कारगिल युद्ध की सबसे मुश्किल चुनौतियों में शुमार प्वाइंट 4875 पर मोर्चा संभाला और दुश्मन को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया. आज मां भारती के इस वीर सपूत विक्रम बत्रा का जन्मदिन है.
मां भारती के इस वीर सपूत विक्रम बत्रा का आज जन्मदिन है. आज इस मौके पर हम आपको कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़े कई अनसुने किस्से बताएंगे जिसे सुनकर आप विरता की मिशाल देंगे.
साल 1999 की करगिल लड़ाई में 24 साल का एक नौजवान पाकिस्तानी फौज को अपने अदम्य साहस से पीछे की ओर धकेल रहा था. तभी दुश्मनों की ओर से आई गोली बिक्रम बत्रा को लगी और वह शहीद हो गए है. अदम्य साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
इनके इस शौर्य और पराक्रम को देखते हुए कैप्टन विक्रम को कई नाम दिए गए. किसी ने उन्हें 'टाइगर ऑफ द्रास' की उपाधी से नवाजा तो किसी ने 'लायन ऑफ करगिल' जबकि पाकिस्तान ने कैप्टन बत्रा को 'शेरशाह' कहा.
खून के प्यासे और जमीन के भूखे खूंखार दुश्मनों के सामने मोर्चे पर डटे विक्रम बत्रा ने अकेले ही कई दुश्मनों को ढेर कर दिया और कई के हौसले पस्त कर दिए. दुश्मनों की ओर से होती भीषण गोलीबारी में घायल होने के बाद भी विक्रम बत्रा ने अपनी डेल्टा टुकड़ी के साथ मिलकर चोटी नंबर 4875 पर हमला बोल दिया.
जांबाज ने हमला तो बोला लेकिन उस वक्त किस्मत को कुछ और भी मंजूर था. विक्रम बत्रा अपने एक घायल साथी को जंग के मैदान से बाहर निकालने के प्रयास में जुटा हुआ था इसी दौरान उनकी वह भी शहीद हो गए.
दरअसल, कारगिल युद्ध में जाने से विक्रम बत्रा अपनी प्रेमिका के साथ चंडीगढ़ स्थित मनसा देवी मंदिर में माता के दर्शन के लिए गए थे. मंदिर की परिक्रमा के दौरान विक्रम बत्रा ने प्रेमिका का दुपट्टा पकड़कर कहा था- बधाई हो 'मिसेज बत्रा'.
चंडीगढ़ में रहने वाली उनकी प्रेमिका ने इन बातों का खुलासा करते हुए कहा है कि जब उन्होंने कारगिल युद्ध जाने की बात सुनी तो वह निराश नहीं बल्कि काफी उत्साहित नजर आ रहे थे.
विक्रम बत्रा ने अपनी प्रेमिका की मांग को अपने खून से भर दिया था. उन्होंने अपना अंगूठा काटकर उनकी मांग भरी थी. बता दें कि दोनों की मुलाकात पंजाब विवि में एमए करने के समय में हुई थी. एमए कंप्लीट होने से पहले ही विक्रम बत्रा का चयन आईएमए के लिए हो गया था.
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