जम्मू: सड़कों पर उतरे ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य, 2015 से नहीं मिला है वेतन
इन समितियों ने पुलिस और सेना के साथ मिल कर अपने अपने इलाको में आतंवाद के खात्मे के लिए हथियार उठाये. करीब 25 साल से यह समितियां लगतार आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.आरोप है कि साल 2015 के बाद से वेतन न मिलने से ग्राम सुरक्षा समितियों के सदस्य भुखमरी की कगार पर है.
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जम्मू: पिछले करीब ढाई दशकों से जम्मू कश्मीर में आतंकियों को नाकों चने चबवाने वाले ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य अपने वेतन को मांग को लेकर सड़कों पर उतर आये है. इन सदस्यों का दावा है कि बिना वेतन के काम करते हुए अब इनके भुखमरी के दिन आ गए है.
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 1996 में ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन किया था. इन समितियों ने पुलिस और सेना के साथ मिल कर अपने अपने इलाको में आतंवाद के खात्मे के लिए हथियार उठाये. करीब 25 साल से यह समितियां लगतार आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
लेकिन, साल 2015 से इन समितियों को वेतन नहीं मिला है. इन समितियों का दावा है कि वो अब तक अपनी मांगों को लेकर चुप इसलिए थे क्योंकि इनकी कोई सुनवाई नहीं थी. लेकिन, अब जबकि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हैट चुकी है और जम्मू कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है ऐसे में उनकी उम्मीदे काफी बढ़ गयी है.
इन समितियों का आरोप है कि साल 2015 के बाद से वेतन न मिलने से ग्राम सुरक्षा समितियों के सदस्य भुखमरी की कगार पर है. इनका आरोप है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को सब से अधिक इन समितियों के सदस्यों ने झेला है.
अपनी मांगो को लेकर यह ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य जम्मू में केंद्र सरकार के लिए खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है. इन सदस्यों का दावा है कि 24 साल पहले जब एक एसपीओ का वेतन 3000 रुपये था तो वो उस वेतन को सभी में बांटते थे लेकिन उसके बाद जैसे ही उनका वेतन पहले 9,000 फिर 12,000 और अब 18,000 हुआ तो इन एसपीओ ने वेतन बाकी सदस्यो को देना बंद कर दिया. वहीं प्रदर्शन कर रहे वीडीसी सदस्यो का दावा है कि अगर जल्द उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो वो अपना प्रदर्शन उग्र करेंगे.
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