मध्य प्रदेश में डिंडौरी जिले के कई गांवों में अभी से ही भीषण जलसंकट के हालात बने हुए हैं. ताजा मामला शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के डोमदादर गांव का है जहां पानी के लिए ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं. रात होते ही ग्रामीण कुएं के पास कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं और अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं.
शाम से रात के बीच जो थोड़ा सा पानी कुएं में जमा होता है उसको भरने ग्रामीणों के बीच होड़ मची रहती है. रात में जो कुएं के पास पहले पहुंच जाता है उसे तो पानी नसीब हो जाता है और बाद में पहुंचने वाले ग्रामीणों को गंदा व मटमैला पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. गांव के स्कूल में एक हैंडपंप है जिसमें सिर्फ दो तीन बाल्टी पानी ही निकलता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर कलेक्टर तक व संत्री से लेकर मंत्री तक पानी की समस्या को लेकर कई बार शिकायत की है लेकिन अबतक किसी भी ने उनकी सुध नहीं ली है.
एसडीएम काजल जावला ने दिया आश्वासन
वहीं जब मीडियाकर्मियों ने इस मामले को लेकर शहपुरा एसडीएम काजल जावला से बात की तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही समस्या का निराकरण कराने का आश्वासन दिया. इसके अलावा, सांसद व पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में केंद्रीय राज्यमंत्री गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आए. डोमदादर गांव के ग्रामीण दिन में मेहनत मजदूरी करते हैं और रात में आराम करने के बजाय कुएं में रिसाव के बाद पानी जमा होने का इंतज़ार करते हैं और फिर उनकी पूरी रात पानी का जुगाड़ करने में ही कट जाती है.
महिलाएं बच्चे व बुजुर्ग सभी खाली बर्तन लेकर पानी की आस में कुएं में ही रतजगा करते हैं ज्यादातर ग्रामीणों को घंटों इंतज़ार के बाद खाली बर्तन लेकर वापस लौटना पड़ता है क्योंकि कुएं में इतना पानी भी नहीं बचता की उसमें बाल्टी डूब जाये. ग्रामीण बताते हैं कि अप्रैल मई के महीने में वो बर्तन के साथ बिस्तर भी लेकर आते हैं और पानी के इंतज़ार में वे कुएं के पास ही सो जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है की उनके गांव में सदियों से पानी की किल्लत बनी हुई है चुनाव के समय नेता व अधिकारी उनके गांव आते हैं और झूठे आश्वासन देकर वोट लेकर चले जाते हैं.
सरकारी दफ्तरों का घेराव करने को मजबूर ग्रामीण
डिंडौरी जिले में गर्मी के शुरुआत में ही जलसंकट को लेकर ग्रामीणों ने कहीं चक्का-जाम किया तो कहीं ग्रामीणों को खाली बर्तन लेकर सरकारी दफ्तरों का घेराव करने पर मजबूर होना पड़ा है. गर्मी के शुरुआत में ही जब जलसंकट के ये हालात हैं तो आने वाले दिनों में हालात कितने भयावह होंगे जिसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. बावजूद इसके जल ही जीवन है का नारा अलापने वाला पीएचई विभाग का अमला और जिलाप्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.
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