कोरोनाकाल में बनाए गए नियमों को तोड़ने पर 54 हजार लोग हुए अब तक गिरफ्तार
चीन में कोराना के नए वेरिएंट BF.7 ने हाहाकार मचा रखा है. बीते वर्षों में ऐसे ही हालातों में देश में लॉकडाउन लगा था और इसके नियमों को तोड़ने पर कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और जुर्माना लगाया गया था.
पूरी दुनिया ने साल 2020 से लेकर 21 में कोराना महामारी का भयंकर रूप देखा. इतना भयावह की इसकी गंभीरता को देखते हुए सभी देशों को सख्त नियम कायदे बनाने पड़े. इन्हें न मानने वाले लोगों पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया. इसी तरह कोविड महामारी के चरम पर होने के दौरान भारत में भी लॉकडाउन के वक्त सख्त नियम लागू किए गए थे और इन्हें न मानने पर कार्रवाई भी की गई थी.
पॉलिसी थिंक टैंक, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि इस दौरान देश की राजधानी दिल्ली में एक साल के अंदर 54 हजार से अधिक लोगों को कोविड मानकों का पालन न करने पर गिरफ्तार किया गया. यहीं नहीं 23 हजार से अधिक लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की गई.
लॉकडाउन में 23,094 एफआईआर हुई दर्ज
हाल ही में चीन में कोरोना के कहर को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने खास दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. कोराना महामारी के वक्त बीते वर्षों में ऐसे ही दिशा-निर्देश भारत में लॉकडाउन के दौरान भी जारी किए गए थे. पॉलिसी थिंक टैंक, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की एक स्टडी में हुए खुलासे के मुताबिक लॉकडाउन में कोविड मानकों को तोड़ने पर कई लोगों को एफआईआर और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा था.
कोविड मानकों की अवहेलना करने पर राजधानी दिल्ली में एक साल के अंदर ही कई लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई थी. इन लोगों के खिलाफ कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने 1897 के महामारी रोग अधिनियम (ईडी अधिनियम), 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएम) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई को अंजाम दिया था.
पॉलिसी थिंक टैंक, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के एक हालिया अध्ययन के मुताबिक दिल्ली के 7 जिलों में मार्च 2020 और मार्च 2022 के बीच कुल 23,094 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गईं. ये एफआईआर कोविड संबंधित मानकों और निर्देशों का उल्लंघन करने पर दर्ज की गई थीं. सबसे ज्यादा एफआईआर मास्क नहीं पहनने को लेकर दर्ज की गई थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के उल्लंघन के दौरान 54,919 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि ऐसे मामलों से निपटने वाली अदालतों ने समान उल्लंघनों के लिए अलग-अलग तरह के दंड का आदेश दिया. जहां मास्क न पहनने पर एक कोर्ट ने 4400 रुपये का जुर्माना लगाया तो दूसरी ने महज 50 रुपये जुर्माने का आदेश दिया था. गौरतलब है कि कोविड संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने 24 मार्च, 2020 को देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था.
कोविड नियम तोड़ने पर 90 करोड़ का जुर्माना
लॉकडाउन को सख्ती से लागू करवाने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियां 1897 के महामारी रोग अधिनियम (ईडी अधिनियम), 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएम) और भारतीय दंड संहिता, (आईपीसी) के दंडात्मक प्रावधानों से लैस थीं. दंडात्मक प्रावधानों को इन एजेंसियों ने किस तरह लागू किया और ये कितनी असरदार रही इसे लेकर विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने स्टडी की थी. ये स्टडी दिल्ली में कोविड-19 से जुड़े मानदंडों को लागू करने पर आधारित थी.
इसके जरिए कोविड महामारी के दौरान दर्ज की गई एफआईआर, कोविड-19 मानकों को लागू करने में पुलिस और अदालतों की भूमिका को समझा गया. इस स्टडी का मकसद दिल्ली में कोविड -19 रोकथाम के उपायों का पालन कराने के लिए आपराधिक कानूनों के इस्तेमाल को समझना था. इसमें ये देखा गया कि क्या लोगों पर आपराधिक कानूनों के जरिए प्रतिबंध लगाने पर उनके सार्वजनिक व्यवहार में बदलाव आता है. वो सही व्यवहार करने के लिए तैयार होते हैं.
रिपोर्ट, 'लेस्ट वी फॉरगेट' सीरीज में देखा गया कि सरकार ने 2000 रुपये तक के जुर्माने का दैनिक लक्ष्य रखा था. इसमें सरकार ने सजा के जरिए बीमारी से निपटने पर जोर दिया था. नतीजा दिल्ली के 8 से 9 जिलों में पुलिस और अन्य अधिकारियों ने कोविड मानकों का उल्लघंन करने वाले लोगों से जुर्माने के तौर पर 90 करोड़ से अधिक रुपये वसूल किए. स्टडी किए गए 110 मामलों में से 106 मामलों में आरोपी दोषी पाए गए. 102 मामलों में दोषियों को सजा सुनाई गई. वहीं बगैर अपराध के किसी को भी सजा नहीं सुनाई गई.
अभी नहीं लॉकडाउन जैसे हालात
चीन में अचानक कोरोना केसों में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट BF.7 ने भारत में अक्टूबर में ही दस्तक दे दी थी. अब तक देश में इसके 3 केस सामनेआ चुके हैं. पड़ोसी देश चीन में कोविड के हालातों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया बुधवार 21 दिसंबर को सतर्क रहने, सावधानी बरतने के निर्देश जारी कर चुके हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि देश किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की और से देश के सभी सूबों को को जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं में प्राथमिकता के आधार पर कोविड पॉजिटिव केसों के नमूने भेजने को कहा गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष सावधानी बरतने के निर्देश हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय भारतीय सार्स-कोवि-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम-आईएनएसएसीओजी देश में कोरोना केसों पर निगरानी रखे हुए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डो पर निगारानी बढ़ा दी है. विदेशों से देश में दाखिल होने वाले लोगों की सख्ती से जांच और नए वेरिएंट की पहचान के लिए हर तरह की सुविधाएं देने के निर्देश भी दिए हैं. नए साल पर विदेश जाने वाले भारतीयों के देश में लौटने पर उनके लिए खास प्रोटोकॉल तैयार किया गया है. इससे इन लोगों में कोरोना के लक्षण मिलते ही जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल तुंरत भेजे जा सकेंगे.
इस सबके बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने पीटीआई से कहा है कि भारत में कोविड केसों में बढ़ोतरी नहीं हुई है और भारत में अभी हालात ठीक हैं.