Bangladesh News: बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. पहले बांग्लादेश ने इन घटनाओं से इंकार किया था. वहीं, अब बांग्लादेश की सरकार ने भी इस बात को मान लिया है.
बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं. अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
विक्रम मिसरी ने उठाया यह मुद्दा
उन्होंने यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था.
22 अक्टूबर तक दर्ज किए 88 मामले
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने बताया, "पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं."
उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों. सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया. आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र से उठाई कार्रवाई की मांग
अमेरिका और यूरोप के विभिन्न हिंदू समूहों से मिलकर बने बांग्लादेशी अल्पसंख्यक गठबंधन ने संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश में हिंदुओं के लक्षित उत्पीड़न को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है. बांग्लादेशी अल्पसंख्यक गठबंधन (बीएमए) का हिस्सा केयर्स ग्लोबल की ऋचा गौतम ने कहा, “हिंदुओं और बौद्धों का उत्पीड़न महज शासन की उदासीनता का मामला नहीं है; यह मानवता की अंतरात्मा और उसके उदासीन प्रयासों पर एक धब्बा है.”
गौतम और गठबंधन के कई अन्य सदस्यों ने पिछले सप्ताह जिनेवा में अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम के 17वें सत्र में भाग लिया, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के सामने उत्पन्न भयावह संकट का सामना करने की अपील की.