नई दिल्ली: वीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में सीबीआई ने 15 आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र कोर्ट के सामने पेश किया है. इसमे राजीव सक्सेना नाम का वह शख्स भी शामिल है, जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने वादामाफ गवाह बनाने की कोशिश की थी. सीबीआई इस मामले में इसके पहले भी साल 2017 में रिटायर्ड एयरचीफ मार्शल समेत 11 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है.
सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड़ के मुताबिक पूरक आरोपपत्र में जिन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया, उनमें संदीप त्यागी, प्रवीन बख्सी, आईडीएस इन्फोटेक के तत्कालीन प्रंबध निदेशक पीके अग्रवाल, कोलकाता के नरेद्र जैन और राजेश जैन, ओम मैटल्स के तत्कालीन प्रबंध निदेशक सुनील कोठारी, वेस्टलैंड सपोर्ट सर्विस के तत्कालीन महाप्रंबधक के वी कुन्नीकृष्नन, राजीव सक्सेना, अगस्ता वेस्टलैंड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ग्याकोमिनो सापोनारो, दीपक गोयल, मारीशस मोहाली आदि की कंपनियां शामिल हैं.
सीबीआई के मुताबिक इस मामले में आरोपियों ने अपनी नई दिल्ली की कंपनी के माध्यम से साल 2009 मे कोलकाता स्थित एक कंपनी का अधिग्रहण किया जिससे उस कंपनी के जरिए किकबैक के पैसों को इधर उधर किया जा सके, यही नहीं इन आरोपियों ने अन्य लोगों के साथ मिलीभगत कर शैल कंपनियो का भी निर्माण किया और फर्जी खाते खोले, जिससे इस मामले में आए अवैध धन को इधर उधर भेजा जा सके. पैसे के खेल को छुपाने के लिए नकली चालान और बिल भी बनाए गए.
सीबीआई का यह दूसरा आरोपपत्र है, लेकिन सीबीआई आज तक किसी भी राजनेता की भूमिका इस मामले में नहीं दिखा सकी है, जबकि इसके पहले सीबीआई के तत्कालीन बड़े अधिकारियो ने दावे किए थे कि इस मामले में एक राजनैतिक परिवार और उसके जानने वाले कई बड़े राजनेता भी इसमें शामिल हैं. अब तक की जांच की सच्चाई यह है कि इन वीआईपी लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करना तो दूर सीबीआई उन्हें आज तक पूछताछ के लिए बुला भी नहीं बुला पाई है.
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