(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सीडीएस बिपिन रावत ने चीन को बताया बड़ा खतरा तो ड्रैगन को लगी मिर्ची, दर्ज कराई आपत्ति
चीन को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताने वाले बयान पर चीन ने आंख दिखाया है. चीन ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की इस कथित टिप्पणी पर भारत के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है.
चीन को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताने वाले बयान पर चीन ने आंख दिखाया है. चीन ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS Bipin Rawat) जनरल बिपिन रावत के बयान पर भारत के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी. चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय अधिकारी बिना किसी कारण के तथाकथित चीनी सैन्य खतरे पर अटकलें लगाते हैं, जो दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का गंभीर उल्लंघन है। चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं. रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए विवरण के अनुसार कर्नल वू हाल ही में जनरल रावत के बयान पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि भारत के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा चीन है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में भरोसे की कमी है.
कर्नल वू ने कहा कि हम इस टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट और जाहिर है. चीनी सीमा रक्षक बल राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं तथा सीमा क्षेत्र में अमन-चैन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तनाव घटाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक पुराने चीनी कहावत को भी बताया कि यदि आप तांबे का उपयोग दर्पण के रूप में करते हैं तो आप तैयार हो सकते हैं, यदि आप इतिहास का दर्पण के रूप में उपयोग करते हैं तो आप उत्थान और पतन में जान सकते हैं, यदि आप लोगों को दर्पण के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो आप लाभ और हानि को समझ सकते हैं.
बता दें कि लद्दाख में पिछले साल मई में गतिरोध तब शुरू हुआ जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग झील और अन्य क्षेत्रों में अपने सैनिकों को गोलबंद किया. पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक टकराव के बाद तनाव काफी बढ़ गया. तब से तनाव घटाने और विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की कई वार्ता हो चुकी है.
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