Delhi News: दिल्ली में बुखार के मामलों में बढ़ोत्तरी, बच्चों से लेकर बड़े तक आ रहे चपेट में
देश की राजधानी दिल्ली कोरोना के कहर से उभरी ही नहीं थी कि अब वायरल फीवर और डेंगू के मामलों ने हाल बेहाल बना दिया है. दिल्ली में बच्चों का अस्पताल चाचा नेहरू बाल में आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं
Delhi News: अभी तक पूरी तरह से दिल्ली कोरोना के मामलों को लेकर संभली भी नहीं है कि राजधानी दिल्ली में वायरल फीवर का कहर बढ़ने लगा है. सबसे ज्यादा वायरल फीवर की चपेट में इस वक़्त बच्चे आ रहे हैं. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली में बच्चों का सबसे बड़ा अस्पताल चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं.
वहीं अगर अस्पताल की ओपीडी की बात करें तो पहले के मुकाबले एक दिन में ओपीडी में दिखाने वाले मरीज़ो की संख्या तीन गुना बढ़ गई हैं. पहले जहां इस अस्पताल में 1 दिन में 500 बच्चे ओपीडी में आते थे तो वहीं अब 1200 से 1500 बच्चे ओपीडी में इलाज के लिए पुहंच रहे हैं.
एक महीने में डेंगू और मलेरिया के केसेस में इजाफा
जहां एक तरफ बच्चों में वायरल फीवर तेजी से बढ़ रहा है तो वहीं दिल्ली में डेंगू और मलेरिया भी तेजी से फैल रहा है. पिछले तकरीबन 1 महीने में डेंगू और मलेरिया के केसे काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. अगस्त में जहां इसका पॉजिटिविटी रेट 2% था तो वहीं सितंबर में यह पॉजिटिविटी रेट 7 से 8% हो गया है. अगस्त की अगर बात करें तो अगस्त में डेंगू के 72 मामले सामने आए तो वहीं सितंबर के पहले हफ्ते में डेंगू के 27 मामले सामने आ चुके हैं.
डेंगू, मलेरिया और वायरल फीवर के बढ़ते मामलों को देखते हुए और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की इस वक़्त स्थिति समझने के लिए हमने चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय अस्पताल के डायरेक्टर बी एल शेरवाल से बातचीत की. उनका कहना है कि "आमतौर पर यह देखा जाता है कि बरसात के दिनों में बुखार वगैरह बढ़ जाता है और आजकल बच्चों में यह काफी ज्यादा देखा जा रहा है. पहले हमारी ओपीडी में 500 से 600 मरीज आते थे लेकिन आप 1500 से 1700 तक मरीज 1 दिन में आ रहे हैं.”
पॉजिटिविटी रेट में दर्ज हुई बढ़त
डॉयरेक्टर ने आगे कहा कि, “पिछले महीने अपने दोस्त लोग सेंपल दिए थे जिसमें से 27 साल तक डेंगू के पॉजिटिव आए थे. जो कि 2% के आसपास पॉजिटिविटी रेट रहा लेकिन इस महीने में पॉजिटिविटी रेट 7 से 8% तक हो गया है. हमारे आईसीयू इस वक़्त फुल हैं साथ ही हमारे बेड भी इस वक्त 90% से ज्यादा फुल है.”
बच्चों में वायरल फीवर का बड़ा कहर देखा जा रहा है जिसका असर अस्पतालों में दवाइयों के लिए लगी लंबी लाइनों से लेकर डॉक्टरों के इंतजार में बैठे मां-बाप की स्तिथि देख के समझा जा सकता है. बच्चों की दवाई लेने के लिए लाइनों में कही 1 से 2 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि गनीमत यह है कि डॉक्टर के मुताबिक सीवियर डेंगू के केसे अभी नहीं आ रहे हैं लेकिन वायरस काफी तेजी से बढ़ रहा है.
साथ ही यहां यह चिंनताएं भी बढ़ जाती है कि जिस तरह से करोना की तीसरी वेव के अलर्ट आते रहे है उसको देखते हुए सितंबर अक्टूबर में इसी तरह वायरल फीवर के केसेस बढ़ते रहे तो मेडिकल सिस्टम पर कितना बड़ा दबाव पड़ेगा. इस पर बी एल शेरवाल बताते है कि "थर्ड वेव के अंदर बच्चों के लिए खतरा इसलिए कहा गया है क्योंकि अभी बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है. लेकिन बहुत जल्द इंडिया में बच्चों के लिए भी वैक्सीन शुरू हो जाएगी. लेकिन सभी चीजों को देखते हुए अस्पताल की तरफ से कई सारी चीजें सुनिश्चित की गई है जैसे हर बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई, मेडिकल स्टाफ और बाकी जरूरी चीजें.
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